भविष्य की कोख में तेरे लिये क्या पल रहा है,
मत सोच देख सूरज, आज का फिर ढल रहा है ।
जो रह गया है काम बाकी पूरा कर ले वह भी,
तेरा काम आज का फिर, कल पर टल रहा है ।
आ गये आसमां पे सितारे, चांद भी आता होगा,
आज का दिन भी अब तो, कल में बदल रहा है ।
जल गई शमां रौशन करने को महफिल किसी की,
देखो परवाने को कैसे, उसपे हर पल मचल रहा है ।
उसे खबर है कि जल जाएगा, फिर भी पाने को उजास,
बेखबर मौत से अपनी, खुशी-खुशी खुद को छल रहा है ।
मत सोच देख सूरज, आज का फिर ढल रहा है - bahut hi sunder, zindagi sochne mein hi beet jaati hai.
जवाब देंहटाएंआपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 12 -04-2012 को यहाँ भी है
जवाब देंहटाएं.... आज की नयी पुरानी हलचल में .....चिमनी पर टंगा चाँद .
जो रह गया है काम बाकी पूरा कर ले वह भी,
जवाब देंहटाएंतेरा काम आज का फिर, कल पर टल रहा है ।
- सुन्दर संदेश !
समय की चाल को बखूबी एक गजल का रूप दिया है आपने... आभार.
जवाब देंहटाएंजो रह गया है काम बाकी पूरा कर ले वह भी,
जवाब देंहटाएंतेरा काम आज का फिर, कल पर टल रहा है ।समय को कहाँ कोई रोक पाया है.......