![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEieNxQ15kYVkAaBB0TiAk3bYuJTWqHExPfWyOFCxvohTcwn2vrbw1Xf6XGEwd4FrONz5Fl9VXCLfj-vgOEhGE-C0iKszKnAs0NCoSmVEGN28u8DrdqIjzYAUkZY8C2m9fRo0qER7PTUnVYp/s320/images+(1).jpg)
उड़ जाती नींद आंखों से क्यों,
जब ख्वाब कोई टूट जाता है ।
गुस्ताखियां याद आती हैं क्यों,
कोई जब माफी मांग के जाता है ।
बदलता वक्त है हम दोष देते क्यों,
उसे जब कोई छोड़ के चला जाता है ।
पतझड़ में पीले पत्तों की जुदाई क्यों,
जो ये शाख से अपनी ही टूट जाता है ।
खामोशी का हर लम्हा सूना क्यों,
हर पल इतना गुमसुम कर जाता है ।