आँसू बहाये, पाँव भी पटके
बड़ी देर तक
ठुनकती भी रहीं
पर मुझसे दूर न हुईं
इनको भुलाने की फ़नकारी में
मैं माहिर न हो सकी
चाह कर भी .....
टूटता नहीं, रिश्ता मेरा
इन ज़िद्दी यादों से !!!
....
सुन्दर भावाव्यक्ति।
सादर नमस्कार,आपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार ( 05-02-2021) को "समय भूमिका लिखता है ख़ुद," (चर्चा अंक- 3968) पर होगी। आप भी सादर आमंत्रित हैं।धन्यवाद.…"मीना भारद्वाज"
बेहद जिद्दी होती ही हैं यादें ।
जी नमस्ते, आपकी लिखी रचना आज शुक्रवार 5 फरवरी 2021 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन " पर आप भी सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद! ,
बहुत सुंदर रचना
सुन्दर सृजन
कब जुदा होती है मन से जुड़ी रहती सांसों से यादें।सादर
मैं माहिर न हो सकीचाह कर भी ..... टूटता नहीं, रिश्ता मेरा इन ज़िद्दी यादों से ----बहुत अच्छी और गहरी रचना है सीमा जी...।
बहुत मुश्किल होता है ... यादें पत्थर की तरह उकेरी होती हैं दिल में ...
ये ज़िद्दी यादें ठुनक ठुनक कर आ जातीं बार बार . बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति .
बहुत सुंदर अहसास..आपकी कविता एक शब्दचित्र बन क्र सामने आ गयी...
सुन्दर भावाव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंसादर नमस्कार,
जवाब देंहटाएंआपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार ( 05-02-2021) को
"समय भूमिका लिखता है ख़ुद," (चर्चा अंक- 3968) पर होगी। आप भी सादर आमंत्रित हैं।
धन्यवाद.
…
"मीना भारद्वाज"
बेहद जिद्दी होती ही हैं यादें ।
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना आज शुक्रवार 5 फरवरी 2021 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन " पर आप भी सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद! ,
बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंसुन्दर सृजन
जवाब देंहटाएंकब जुदा होती है मन से जुड़ी रहती सांसों से यादें।
जवाब देंहटाएंसादर
मैं माहिर न हो सकी
जवाब देंहटाएंचाह कर भी .....
टूटता नहीं, रिश्ता मेरा
इन ज़िद्दी यादों से ----बहुत अच्छी और गहरी रचना है सीमा जी...।
बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत मुश्किल होता है ... यादें पत्थर की तरह उकेरी होती हैं दिल में ...
जवाब देंहटाएंये ज़िद्दी यादें ठुनक ठुनक कर आ जातीं बार बार . बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति .
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अहसास..आपकी कविता एक शब्दचित्र बन क्र सामने आ गयी...
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