गुरुवार, 4 फ़रवरी 2021

ज़िद्दी यादों से !!!

 आँसू बहाये, पाँव भी पटके

बड़ी देर तक 

ठुनकती भी रहीं

पर मुझसे दूर न हुईं

इनको भुलाने की फ़नकारी में

मैं माहिर न हो सकी

चाह कर भी ..... 

टूटता नहीं, रिश्ता मेरा 

इन ज़िद्दी यादों से !!!

....




12 टिप्‍पणियां:

  1. सादर नमस्कार,
    आपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार ( 05-02-2021) को
    "समय भूमिका लिखता है ख़ुद," (चर्चा अंक- 3968)
    पर होगी। आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    धन्यवाद.


    "मीना भारद्वाज"

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  2. बेहद जिद्दी होती ही हैं यादें ।

    जवाब देंहटाएं
  3. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना आज शुक्रवार 5 फरवरी 2021 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन " पर आप भी सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद! ,

    जवाब देंहटाएं
  4. कब जुदा होती है मन से जुड़ी रहती सांसों से यादें।
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  5. मैं माहिर न हो सकी

    चाह कर भी .....

    टूटता नहीं, रिश्ता मेरा

    इन ज़िद्दी यादों से ----बहुत अच्छी और गहरी रचना है सीमा जी...।

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत मुश्किल होता है ... यादें पत्थर की तरह उकेरी होती हैं दिल में ...

    जवाब देंहटाएं
  7. ये ज़िद्दी यादें ठुनक ठुनक कर आ जातीं बार बार . बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति .

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  8. बहुत सुंदर अहसास..आपकी कविता एक शब्दचित्र बन क्र सामने आ गयी...

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मन को छू लें वो शब्‍द अच्‍छे लगते हैं, उन शब्‍दों के भाव जोड़ देते हैं अंजान होने के बाद भी एक दूसरे को सदा के लिए .....