रविवार, 17 जनवरी 2021

ज़िंदगी की चाय !!!

ज़िंदगी की चाय में

उबाल देना

सारे रंजो-ग़म

अनबन की गाँठ वाली अदरक को,

कूट-पीटकर डाल देना

जिसका तीखा सा स्वाद भी

बड़ा भला लगेगा,

मिठास के लिए

ज़रा सा अपनापन

डालते ही

जायकेदार चाय

पिला सकोगे

अपने अपनो को !!!

...



18 टिप्‍पणियां:

  1. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा सोमवार 18 जनवरी 2021 को 'यह सरसराती चलती हाड़ कँपाती शीत-लहर' (चर्चा अंक-3950) पर भी होगी।--
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्त्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाए।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

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  2. लाजवाब सीमा जी...बेहतरीन रचना 🌹🙏🌹

    जवाब देंहटाएं
  3. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन  में" आज सोमवार 18 जनवरी 2021 को साझा की गई है.........  "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  4. वाह ...
    कुछ अपनापन स्वाद तो लाएगा ही ... चाय की चुस्कियों में स्वाद ...
    बहुत खूब लिखा है ...

    जवाब देंहटाएं
  5. सुप्रभात...। बहुत ही सुंदर रचना.... एक अच्छी सुबह जैसी...।

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मन को छू लें वो शब्‍द अच्‍छे लगते हैं, उन शब्‍दों के भाव जोड़ देते हैं अंजान होने के बाद भी एक दूसरे को सदा के लिए .....