दबे पाँव आई अनहोनी
बड़ी ख़ामोशी से,
हुआ हादसा ..
कुछ ज़ख्म, कुछ खरोचें
कुछ मुंदी चोटें
गहरे काले निशानों के साथ
रक्तरंजित कर गईं
चेहरे को
यक़ीन के परे का एक सच
ये कह गया चुपके से कानों में
समय का मरहम
मिटा देगा हर ज़ख्म का निशान !!!
…
दबे पाँव आई अनहोनी
बड़ी ख़ामोशी से,
हुआ हादसा ..
कुछ ज़ख्म, कुछ खरोचें
कुछ मुंदी चोटें
गहरे काले निशानों के साथ
रक्तरंजित कर गईं
चेहरे को
यक़ीन के परे का एक सच
ये कह गया चुपके से कानों में
समय का मरहम
मिटा देगा हर ज़ख्म का निशान !!!
…
आँसू बहाये, पाँव भी पटके
बड़ी देर तक
ठुनकती भी रहीं
पर मुझसे दूर न हुईं
इनको भुलाने की फ़नकारी में
मैं माहिर न हो सकी
चाह कर भी .....
टूटता नहीं, रिश्ता मेरा
इन ज़िद्दी यादों से !!!
....
ज़िंदगी की चाय में
उबाल देना
सारे रंजो-ग़म
अनबन की गाँठ वाली अदरक को,
कूट-पीटकर डाल देना
जिसका तीखा सा स्वाद भी
बड़ा भला लगेगा,
मिठास के लिए
ज़रा सा अपनापन
डालते ही
जायकेदार चाय
पिला सकोगे
अपने अपनो को !!!
...
मुस्कराहटों के मायने
मत पूछा करो तुम,
दर्द को छिपाने में
.... आँसुओं को,
पलकों की ....
कोरों पे रोकने में
अक़्सर ये,
शुभचिंतक हो जाती है!!!
©
दिसम्बर का
इंतज़ार ख़त्म होने को है
21वीं सदी को
इक्कीसवें साल की
शुभकामनाएं देने
जनवरी सीढ़ी दर सीढ़ी
उतर रही है ...
शुभता की कामनाओं से
सजे हैं द्वार मन के,
उम्मीद ने बुलावा भेजा है
खुशियों को मंगल गीत गाने को,
आना ही होगा नव वर्ष को,
सबके आँगन …..
हर्ष और उत्कर्ष का
चर्मोत्कर्ष लिए !!!
.....