रविवार, 27 सितंबर 2015

प्रेम में ईश्‍वर !!!

प्रेम के रिश्‍ते
निभते जाते हैं
इन्‍हें निभाना नहीं पड़ता
कोई रहस्‍य
कोई पर्दा
नहीं ढक पाता है
इसके होने के
वज़ूद को !
...
ये जब होता है
तो पूरी क़ायनात
एक हो जाती है
इसकी तरफ़दारी में
सारी नफ़रतों को
पिघलना पड़ता है
प्रेम में
ईश्‍वर का साक्षात्‍कार
होना तय है !!
...
जो नहीं मानता प्रेम को
उससे तुम
घृणा मत करो
ये सोचो
जाने कौन सा
गुऩाह किया होगा इसने
जो रब़ ने
इसे ये नेम़त नहीं बख्‍़शी !!!

...



सोमवार, 14 सितंबर 2015

हर दिन इसका हो !!!!

भाषा हिन्‍द की
माँ बोली वो
लगे एक पहचान सी
इसका अपनापन
मन में उतरे
जैसे माँ की सहजता !
...
हिन्‍दी गर्व की
वो बिन्‍दी है
जिसके लग जाने से
मन मस्तिष्‍क को
मान के साथ
सम्‍मान भी देता है !!
...
आओ इसको
दिवस की विशेषताओं से परे
बसा लें ऐसे संकल्पित हो
पखवाड़ा ही नहीं
हर दिन इसका हो !!!!



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मन को छू लें वो शब्‍द अच्‍छे लगते हैं, उन शब्‍दों के भाव जोड़ देते हैं अंजान होने के बाद भी एक दूसरे को सदा के लिए .....