जल ही जीवन है,
नहीं इसके बिना कोई जीवन है,
एक बूंद से,
निश्वास होती सांस
लौट आती देह में,
जल ही जीवन है . . . ।
समझो तो सार इसका,
मीन से, जब तक,
जल में रही
सब कुछ इसका था जल,
सांस, आस, विश्वास,
न होती एक पल स्थिर,
न आती एक पल उदासी,
चंचलता हर पल रहती,
इसके साथ,
जल ही जीवन है . . . ।
हर ओर था जीवन,
सब ओर था उल्लास,
लेकिन जल में रहकर भी,
नहीं बुझी थी प्यास,
जीवन था उसका जल,
जल ही जीवन है . . . ।
नहीं रह पाता
कोई भी निर्जल
जल ही जीवन है . . . ।
बेहतरीन रचना...
जवाब देंहटाएंसादर नमन..