मुझसे इस कदर दुश्मनी न कर की ,
दोस्ती से उठ जाए यकीं लोगो का ।
कुछ भरम में रख मुझे औरों को भी रहने दे,
मर न जाए ऐसी बातों से ज़मीर लोगों का ।
मैं कैसे मन लूँ नेक इंसान उस शख्स को,
जो समझता है ख़ुद को खुदा लोगों का ।
ये ठीक है तेरा ओहदा ऊँचा है हम सबसे,
बनाने में तुझे बड़ा, हाँथ है इन्ही लोगों का ।
हालात से इस तरह "सदा" मत कर समझौता
वरना हक़ मांगेगा कौन कमज़ोर लोगों का ।
मंगलवार, 12 मई 2009
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
लेबल
- 13 फरवरी / जन्मदिन (1)
- काव्य संग्रह 'अर्पिता' (1)
- गजल (1)
- ग़ज़ल (21)
- नया ब्लाग सद़विचार (1)
- बसन्त ... (1)
- यादें (1)
- kavita (30)
ब्लॉग आर्काइव
मेरे बारे में
- सदा
- मन को छू लें वो शब्द अच्छे लगते हैं, उन शब्दों के भाव जोड़ देते हैं अंजान होने के बाद भी एक दूसरे को सदा के लिए .....
bahut hi sundar .......har shabd khas.
जवाब देंहटाएंkya baat hai ...sada sis...bahut achha ...
जवाब देंहटाएंहालात से इस तरह "सदा" मत कर समझौता
वरना हक़ मांगेगा कौन कमज़ोर लोगों का ।