आने वाला है कल नया दिन लेकर एक जनवरी,
देनी है आज विदाई हमको इकतीस दिसम्बर को ।
माफ करना खता जो तुमको नागवार गुजरा हो,
आए हैं सजाए माफी का इकरार तुमसे करने को ।
नई आशायें, नये सपने, बुनते हुये नये ताने-बाने,
उम्मीदों के दीप जलाये, महफिल तेरी सजाने को ।
जहां हसरतों की कमी नहीं, वहां धुंधली किरण भी,
चमक से अपनी रौशन करती अंधकार भगाने को ।
वंदन है अभिनन्दन है, नये पल का, स्वागत तो कर,
आया है सूरज सुबह उजली किरण संग तुझे जगाने को ।
भूल जा क्या गुस्ताखियां तुझसे हुईं तेरे साथ क्या हुआ,
हो खुशी का हर पल मुबारक ‘सदा’ तेरे संग जमाने को ।