दर्द के रिश्ते में एक नया दर्द आ गया,
भूलकर हर दर्द जब भी मुस्कराना चाहा ।
आंखे ख्वाब सजा लेती एक नया फिर से,
जब भी मैने टूटा हुआ ख्वाब छुपाना चाहा ।
पलकों पे आंसू मोती बनके चमक उठते,
जब भी तुम्हें इस दिल ने भुलाना चाहा ।
लम्हे जुदाई के आते जब मुहब्बत में
जीने के बदले फक़त मर जाना चाहा ।
टूटे सपने, बहते आंसू, जुदाई के पल ले
यादों की गली से खामोश ही जाना चाहा ।
आखें ख्वाब सजा लेतीं एक नया फिर .....वाह बहुत खूबसूरत गज़ल
जवाब देंहटाएंबेहद मर्मस्पर्शी अलफ़ाज़!
जवाब देंहटाएंAah!Ek hara-sa zakhm kureda gaya!Behad sundar likhti hain aap!
जवाब देंहटाएंcटूटे सपने , बहते आँसू , जुदाई के पल्……………बस यही तो अमानत हैं…………………दर्द को शब्द दे दिये।
जवाब देंहटाएंअच्छी लगी प्रेम की ये तलाश......
जवाब देंहटाएं.
जवाब देंहटाएंप्रेम में आंसू भी प्रिय लगने लगते हैं।
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ख्वाब देखने मे अच्छे लगते हैं मगर दर्द देते हैं। अच्छी लगी रचना। बधाई।
जवाब देंहटाएंदर्द की अनुभूति पर अच्छी रचना ।
जवाब देंहटाएंएक एक एहसास को सच्चाई का जामा बहुत सुंदर शब्दों की हिफाज़त से पहनाया है. सुंदर नज़्म.
जवाब देंहटाएंdard ko bakhubi kaha hai aane
जवाब देंहटाएंachhi rachna
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aankhe khwaab saja leti hain ...
जवाब देंहटाएंbahut hi lajawaab nazm hai ... dil ki gahraiyon se nikle huve shbd hain ...
dard likhna aa gaya
जवाब देंहटाएंsamjho zindagi ko muskurana aa gaya
दर्द को एक नए अंदाज़ में व्यक्त करना इस गज़ल की खूबी है.अच्छा लगा इसे पढ़ना.
जवाब देंहटाएं5/10
जवाब देंहटाएंसुन्दर भावपूर्ण लेखन
दर्द का यह अहसास बहुत ख़ास सा है ..
"टूटे सपने, बहते आंसू, जुदाई के पल ले
यादों की गली से खामोश ही जाना चाहा ।"
Bahoot sundar abhivaykti
जवाब देंहटाएंआंखे ख्वाब सजा लेती एक नया फिर से,
जवाब देंहटाएंजब भी मैने टूटा हुआ ख्वाब छुपाना चाहा ।
...दिल को छु लेने वाली पंक्तियाँ ...हर एक लफ्ज में दर्द है काश यह दर्द न होता ..तो हाल -ए - दिल यह न होता ...सुंदर अभिव्यक्ति
चलते -चलते पर आपका स्वागत है
बहुत ही सुन्दर भावनात्मक रचना !
जवाब देंहटाएंदर्द के साथ जीना सीखो
जवाब देंहटाएंहंस के गले लगाना सीखो
दर्द में सुकून ढूंढों
निरंतर हिस्सा जिन्दगी का
समझो
बहुत पसन्द आया
जवाब देंहटाएंहमें भी पढवाने के लिये हार्दिक धन्यवाद
बहुत देर से पहुँच पाया ...............माफी चाहता हूँ..
sada, bahut hi sudnar rachna ...padhkar man bhar gaya hai ji
जवाब देंहटाएंbadhayi
vijay
kavitao ke man se ...
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आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज मंगलवार 10 अगस्त 2021 शाम 5.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
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