मैं किसी की आंख का ख्वाब हूं,
किसी की आंख का नूर हूं ।
भूल गया सब कुछ मैं तो खुद,
अपने आप से भी दूर हूं ।
हस्ती बनने में लगा वक्त मुझको,
पर अब मैं किसी का गुरूर हूं ।
फिसल गया वक्त रेत की तरह,
पर मैं ठहरा हुआ जरूर हूं ।
हक किसी का मुझपे मुझसे ज्यादा है,
मैं अपने वादे के लिये मशहूर हूं ।
waah bahut badhiya....
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंफिसल गया वक्त रेत की तरह,
जवाब देंहटाएंपर मैं ठहरा हुआ जरूर हूं ।
वक्त हमेशा मुट्ठी में बन्द रेत ही है.
सुन्दर रचना
रचना काबिले तारीफ़ है, शुभकामनाएं|
जवाब देंहटाएंमन की व्यथा का सही चित्रण किया है आभार
जवाब देंहटाएंदिल से लिखी गयी रचना बेहद पसंद आई.....एक कवि मन की मासूमियत दिखाई दी....शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंकविता खूबसूरत तो है ही, सीधे दिल को छू जाती है।
जवाब देंहटाएंvery well written..emotions well expressed :
जवाब देंहटाएंSANJAY BHASKAR
शब्द और भाव बेमिशाल - प्रशंसनीय प्रस्तुति - हार्दिक बधाई
जवाब देंहटाएंJITNI TAREEF KAROO KUM HAI...
जवाब देंहटाएंBEHTREEN,,,,,,
हक किसी का मुझपे मुझसे ज्यादा है,
जवाब देंहटाएंमैं अपने वादे के लिये मशहूर हूं ।
सुन्दर रचना ...सुन्दर अभिव्यक्ति के साथ...पढ़कर अच्छा लगा ..ऐसे ही लिखते रहे मेरी शुभकामनाये आके साथ है
http://athaah.blogspot.com/
मुझपर मुझसे ज्यादा किसी का हक है..वाह क्या बात है.....
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ... अपनी हस्ती को संभालना गरूर नही होता .... लजवाब लिखा है ...
जवाब देंहटाएंबहुत दीनो बाद आपका आना हुवा है आज ब्लॉग पर व.. आशा है आप कुशल होंगी ...
बहुत ही सुन्दर और लाजवाब रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ है! बधाई!
जवाब देंहटाएंहस्ती बनने में लगा वक्त मुझको,
जवाब देंहटाएंपर अब मैं किसी का गुरूर हूं ।
फिसल गया वक्त रेत की तरह,
पर मैं ठहरा हुआ जरूर हूं ।
जीवन संघर्ष का अच्छा प्रस्तुतिकरण
sunder rachna..
जवाब देंहटाएंआपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन में शामिल किया गया है... धन्यवाद....
जवाब देंहटाएंसोमवार बुलेटिन