नमी आंसुओं की उभर आई आंखों में जब,
गिला कर गई फिर किसी की बेवफाई का ।
बहना इनका दिल के दर्द की गवाही देता,
एतबार किया क्यों इसने इक हरजाई का ।
कितना भी रोये बेटी बिछड़ के बाबुल से,
दब जाती सिसकियां गूजें स्वर शहनाई का !
ओट में घूंघट की दहलीज पर धरा जब पांव,
चाक हुआ कलेजा आया जब मौका विदाई का ।
जार-जार रोये बाबुल मां ने छोड़ी न कलाई मेरी,
बहते आंसुओं में चेहरा धुंधला दिखे मां जाई का ।
धन्यवाद आपके सुझाव के लिए !
जवाब देंहटाएंजार जार रोये बाबुल माँ .........
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर लिखा है आपने !
सुंदर रचना विदाई पर ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर कविता ......... दिल को छु गई.......
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना, शुरू की चार पंक्तिया अति प्रभावी !
जवाब देंहटाएंकितना भी रोए बेटी बिछूड़ कर बाबुल से .....
जवाब देंहटाएंबहुत ही मार्मिक ... इस संवेदनशील रचना के लिए बधाई ...
http://sanjaybhaskar.blogspot.com/2010/08/blog-post_19.html
जवाब देंहटाएंकुछ तो है इस कविता में, जो मन को छू गयी।
जवाब देंहटाएंबहुत मर्मस्पर्षि रचना, शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
बहुत ही वैज्ञानिकता लिए हुए है आपकी यह रचना!
जवाब देंहटाएंbahut achhi kavita h apki
जवाब देंहटाएंmene apni kavitao or vicharo k liye ek blog banaya hai kripya aap use padhe or mujhe uchit margdarsan de
link h
www.deepti09sharma.blogspot.com
बेहद भाव पूर्ण रचना।
जवाब देंहटाएंराष्ट्र की एकता को यदि बनाकर रखा जा सकता है तो उसका माध्यम हिन्दी ही हो सकती है।
बहुत भावपूर्ण रचना
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूबसूरत, मर्मस्पर्शी और भावपूर्ण रचना लिखा है आपने! आपकी इस रचना को पढ़कर मैं अपनी शादी के दिन को याद करने लगी जब मैं अपने पिताजी और माँ को छोड़कर अपने ससुराल घर चली गयी और एक लाडली बेटी होने के नाते अपने पिताजी माँ को हर पल याद करने लगी! आख़िर ये दिन हर लड़की के ज़िन्दगी में आता है और इस कठिन दौड़ से उसे गुज़रना पड़ता है!
जवाब देंहटाएंआप सभी का बहुत- बहुत आभार इस प्रोत्साहन के लिये ।
जवाब देंहटाएंJABARDASHT PRASTUTIKARAN..KYA KHOOB LIKHA HAI , MAN KO CHOO GAYI KAVITA .. BADHYI HO ..BABUL KI DUAYE LETI JAA GEET YAAD AA GAYA ..
जवाब देंहटाएंVIJAY
आपसे निवेदन है की आप मेरी नयी कविता " मोरे सजनवा" जरुर पढ़े और अपनी अमूल्य राय देवे...
http://poemsofvijay.blogspot.com/2010/08/blog-post_21.html
जाए -जाए रोये बाबुल माँ ने न छोड़ी कलाई मेरी
जवाब देंहटाएंबहते आंसुओं में चेरा धुंधला दिखे माँ जाई का ......
भाव विह्वल कर गए ये शब्द .......!!
very nice... bahut achi lagi aapki kavita....
जवाब देंहटाएंA Silent Silence : tanha marne ki bhi himmat nahi
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बहुत स्नेहिल . बोझिल और मार्मिक होता है यह क्षण |
जवाब देंहटाएंपढ़कर भावुक हो गया...मर्मस्पर्शी रचना.
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'शब्द सृजन की ओर' में 'साहित्य की अनुपम दीप शिखा : अमृता प्रीतम" (आज जन्म-तिथि पर)
आपको एवं आपके परिवार को श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंमन के आँचल को भिगो दिया.
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