शनिवार, 21 अगस्त 2010

गूजें स्‍वर शहनाई का .....












नमी आंसुओं की उभर आई आंखों में जब,

गिला कर गई फिर किसी की बेवफाई का ।

बहना इनका दिल के दर्द की गवाही देता,

एतबार किया क्‍यों इसने इक हरजाई का ।

कितना भी रोये बेटी बिछड़ के बाबुल से,

दब जाती सिसकियां गूजें स्‍वर शहनाई का !

ओट में घूंघट की दहलीज पर धरा जब पांव,

चाक हुआ कलेजा आया जब मौका विदाई का ।

जार-जार रोये बाबुल मां ने छोड़ी न कलाई मेरी,

बहते आंसुओं में चेहरा धुंधला दिखे मां जाई का ।

22 टिप्‍पणियां:

  1. धन्यवाद आपके सुझाव के लिए !

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  2. जार जार रोये बाबुल माँ .........

    बहुत सुन्दर लिखा है आपने !

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  3. बहुत ही सुंदर कविता ......... दिल को छु गई.......

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  4. सुन्दर रचना, शुरू की चार पंक्तिया अति प्रभावी !

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  5. कितना भी रोए बेटी बिछूड़ कर बाबुल से .....
    बहुत ही मार्मिक ... इस संवेदनशील रचना के लिए बधाई ...

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  6. कुछ तो है इस कविता में, जो मन को छू गयी।

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  7. बहुत मर्मस्पर्षि रचना, शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  8. बहुत ही वैज्ञानिकता लिए हुए है आपकी यह रचना!

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  9. bahut achhi kavita h apki
    mene apni kavitao or vicharo k liye ek blog banaya hai kripya aap use padhe or mujhe uchit margdarsan de
    link h
    www.deepti09sharma.blogspot.com

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  10. बेहद भाव पूर्ण रचना।

    राष्ट्र की एकता को यदि बनाकर रखा जा सकता है तो उसका माध्यम हिन्दी ही हो सकती है।

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  11. बहुत ख़ूबसूरत, मर्मस्पर्शी और भावपूर्ण रचना लिखा है आपने! आपकी इस रचना को पढ़कर मैं अपनी शादी के दिन को याद करने लगी जब मैं अपने पिताजी और माँ को छोड़कर अपने ससुराल घर चली गयी और एक लाडली बेटी होने के नाते अपने पिताजी माँ को हर पल याद करने लगी! आख़िर ये दिन हर लड़की के ज़िन्दगी में आता है और इस कठिन दौड़ से उसे गुज़रना पड़ता है!

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  12. आप सभी का बहुत- बहुत आभार इस प्रोत्‍साहन के लिये ।

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  13. JABARDASHT PRASTUTIKARAN..KYA KHOOB LIKHA HAI , MAN KO CHOO GAYI KAVITA .. BADHYI HO ..BABUL KI DUAYE LETI JAA GEET YAAD AA GAYA ..

    VIJAY
    आपसे निवेदन है की आप मेरी नयी कविता " मोरे सजनवा" जरुर पढ़े और अपनी अमूल्य राय देवे...
    http://poemsofvijay.blogspot.com/2010/08/blog-post_21.html

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  14. जाए -जाए रोये बाबुल माँ ने न छोड़ी कलाई मेरी
    बहते आंसुओं में चेरा धुंधला दिखे माँ जाई का ......

    भाव विह्वल कर गए ये शब्द .......!!

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  15. बहुत स्नेहिल . बोझिल और मार्मिक होता है यह क्षण |

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  16. पढ़कर भावुक हो गया...मर्मस्पर्शी रचना.
    ________________
    'शब्द सृजन की ओर' में 'साहित्य की अनुपम दीप शिखा : अमृता प्रीतम" (आज जन्म-तिथि पर)

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  17. आपको एवं आपके परिवार को श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें !

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मन को छू लें वो शब्‍द अच्‍छे लगते हैं, उन शब्‍दों के भाव जोड़ देते हैं अंजान होने के बाद भी एक दूसरे को सदा के लिए .....