नहीं लगता कोई अपना आजकल,
सबका मन हुआ अपना आजकल ।
पराये हो जाते हैं मां-बाप भी अब,
घर में दुल्हन के आने से आजकल ।
जन्म दिया, पालन पोषण किया ये,
सब करते हैं कहते बच्चे आजकल ।
सब कुछ करो आप, मन की करने दो,
बस उम्मीद मत करो कहते आजकल ।
रूसवाई से डरे जमाने में कुछ न कहा,
हर घर के हालात एक से हैं आजकल ।
बुजुर्गों की नसीहतें बुरी लगती हैं जबसे,
कुछ भी कहने से डरते हैं यह आजकल ।
दौर मुश्किल है, हर रिश्तें में फासला है,
काम से वक्त नहीं मिलता बस आजकल ।
Kitna sahi kaha aapne! Rishton me meelon,sadiyon ke faasle hain!
जवाब देंहटाएंसब कुछ करो बस उमीद मत करो यही सुखी जीवन का मन्त्र है बहुत अच्छी लगी कविता। बधाई।है।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब सदा जी , शुरू की चार पंक्तिया अति प्रभावी लगी !
जवाब देंहटाएंajeeb mahaul hai, rishte to door hue hi, hum khud se ajnabi ho gaye
जवाब देंहटाएंहमारी बदली प्राथमिकताओं ने बुनियादी मूल्यों पर भी चोट किए हैं। हमसे ऐसा बहुत कुछ छिनता जा रहा है,जो शुद्ध रूप में भारतीय संस्कृति का हिस्सा रहा है।
जवाब देंहटाएंआज का सच अब सबके सामने है फिर हर कोई मजबूर है
जवाब देंहटाएंआज का सच लिख दिया है ...घर बाहर बस डर कर रहो आज कल ..
जवाब देंहटाएंक्या आप हिंदी ब्लॉग संकलक हमारीवाणी के सदस्य हैं?
जवाब देंहटाएंहमारीवाणी पर ब्लॉग पंजीकृत करने की विधि
वाह! बहुत उम्दा!
जवाब देंहटाएंकुछ बहुत ही यथार्थ से परिचित करा रही है आपकी रचना ... हर शेर सत्य बयान कर रहा है ... रोज़मर्रा में देखते हैं इस सत्य को ... बहुत अच्छा लिखा है ...
जवाब देंहटाएंvah bahut khubsurat aur prabhavshali rachna---.
जवाब देंहटाएंPoonam
you have brought out a hard hitting fact of present society, where scope of family is getting fragmented every passing day.Congratulations for writing such a nice poem.
जवाब देंहटाएंPIYUSH TIWARI
REWA
आजकल के परिवारों का सच उकेर कर रख दिया आपने अपने असरदार शब्दों से.
जवाब देंहटाएंहर पल होंठों पे बसते हो, “अनामिका” पर, ... देखिए
bahut sahi kaha h apne
जवाब देंहटाएंaaj kal y hi to hota hai
Bahut hi badiya likha hai aapne
जवाब देंहटाएंआपको एवं आपके परिवार को गणेश चतुर्थी की शुभकामनायें ! भगवान श्री गणेश आपको एवं आपके परिवार को सुख-स्मृद्धि प्रदान करें !
जवाब देंहटाएंबहुत खूब !
आज की जिंदगी का सच तो यही है ....
जवाब देंहटाएंजो धीरे धीरे और कड़वा होता जा रहा है .....
हकीकत बयां करती रचना .....
ये भी एक कडवी सच्चाई है आज की पीढ़ी की ......
जवाब देंहटाएंपहले से ही उम्मीद न पाली जाये तो अच्छा है ......
नज़्म के पीछे कोई गहरी उदासी छिपी है .....!!