हिचकियों के आने से तेरे,
याद करने का शुभा होता है ।
यादे होती हैं सहारा इंसान का,
जिनसे हर शख्स बंधा होता है ।
तनहाईयां डस लेती आदमी को,
परछाईयों का इनपे पहरा होता है ।
मिलना-बिछड़ना खेल तकदीर के,
आदमी बस इक खिलौना होता है ।
बस वही तो दिल में बसा होता है ।
हिचकियों के आने से तेरे,
जवाब देंहटाएंयाद करने का शुभा होता है ।
वाह क्या बात है अच्छी लगी रचना बधाई
इस शुभा में ही बीत जाती है ज़िंदगी....खूबसूरत
जवाब देंहटाएंदिल की गहराईयों से चाहो जिसे,
जवाब देंहटाएंबस वही तो दिल में बसा होता है ।
--
सबी शेर बहुत बढ़िया हैं!
..बहुत अच्छी रचना
जवाब देंहटाएंsach hai isake siway kuchh nahi .........
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह बहुत सुंदर रचना... .
जवाब देंहटाएंसुसज्जित रचना ,अच्छे शेरों से
जवाब देंहटाएंkya yah shubha sandeh ke liye hai..
जवाब देंहटाएंसच है जो दिल में होता है उससे ही तो प्यार होता है ... अच्छा लिखा है ...
जवाब देंहटाएं