तेरी मुहब्बत मुझे इस कदर रूलाएगी छिपाने में,
उसको इक मुस्कराहट भी मेरी न काम आएगी ।
यूं तो हंसने के फन में खूब माहिर हूं होगा क्या,
जब हंसी बन के अश्क आंखों से छलक जाएगी ।
दर्द तेरा दिया अब दवा का काम करता है,
जख्म पे कोई मरहम अब न काम आएगी ।
टीस जख्मों की चैन दिल का बन गया मेरे,
इस चुभन से बच के जिन्दगी किधर जाएगी ।
जुर्म हो गया मुहब्बत पे इस तरह ऐतबार करना,
इसकी कीमत तो ताउम्र अश्को से चुकाई जाएगी ।
जब उनका दर्द दावा बन जाए तो मरहम का क्या काम .....
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे जज्बातों से पिरोया है रचना को .....
BEHTAREEN ABHIVYAKTI AANAND AA GAYA
जवाब देंहटाएंदर्द भरी खूबसूरत गज़ल...
जवाब देंहटाएंजुर्म हो गया मुहब्बत पर यकीन करना की ताउम्र आंसुओं में नहायेंगे ...
जवाब देंहटाएंहम भी डूब रहे हैं आपके साथ इस दर्द में ...यही तो रचना की सार्थकता हुई ना ...!
dil tak dastak deti gazal
जवाब देंहटाएंजुर्म हो गया मुहब्बत पे इस तरह ऐतबार करना,
जवाब देंहटाएंइसकी कीमत तो ताउम्र अश्को से चुकाई जाएगी ।
"Har hansee kee qeemat
ashkon se chuayi hamne
Pata nahi aur kitna qarz,
raha hai baaqee,
aansoo hain,ke,thamte nahin.."
जुर्म हो गया मुहब्बत पे इस तरह ऐतबार करना,
जवाब देंहटाएंइसकी कीमत तो ताउम्र अश्को से चुकाई जाएगी ।
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बहुत सुन्दर रचना!
दर्द भरी अनुभूति ।
जवाब देंहटाएंयूँ तो हंसने के फन मे खूब माहिर हैं---- क्या सच फिर दुख किस बात का? लेकिन रचना बहुत अच्छी लगी। शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंdard bharii abhivyakti.
जवाब देंहटाएंजुर्म हो गया मुहब्बत पे इस तरह ऐतबार करना,
जवाब देंहटाएंइसकी कीमत तो ताउम्र अश्को से चुकाई जाएगी ।
behad khubsurat..
अच्छी लगी लाजवाब!!!!!! किस किस बात कि दाद दूँ हर बात दूसरे से भी बढ़ कर
जवाब देंहटाएंजीवन की तल्ख सच्चाई को करीने से बयां किया है आपने।
जवाब देंहटाएं................
पॉल बाबा का रहस्य।
आपकी प्रोफाइल कमेंट खा रही है?.
सदा जी आपके दूसरे ब्लाग सदा सृजन पर कमेन्ट नही पोस्ट हो रहा। देखें। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंबेहद ख़ूबसूरत और उम्दा
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ग़ज़ल बधाई। "ज़ख़्म पे अब कोई न मरहम काम आयेगी"
जवाब देंहटाएंइस पक्ति में मुझे व्याकरण दोष ( जेन्डर का ) लग रहा है देख लीजियेगा।