वो जाने क्यों
होने लगी कमजोर
मुहब्बत का उस पर
असर होने लगा,
सामने होने पर
जिसको न देखा
नजर उठा के,
निगाहें
उसके आने का
रस्ता तकने लगी
बातें करती सांसे आपस में
जब तेज-तेज
वह खुद की
हालत से डरने लगी
कैसे बता पाएगी
इन पलों की सरगोशियां
ख्यालों के तसव्वुर
पे उस अजनबी चेहरे का छा जाना
हौले-हौले होठों का कंपकपाना
छिपा के हथेलियों में चेहरा
फिर मुस्कराना,
जैसे एक जिन्दगी
का जीकर हर पल खुशी-खुशी
गुजर जाना ।
वाह बहुत सुन्दर दुलहन की तरह रचना भी सुन्दर है बधाई
जवाब देंहटाएंखूबसूरत पल
जवाब देंहटाएंखूबसूरत एहसासों को खूबसूरती से लिखा है....
जवाब देंहटाएंखूबसूरत एहसासों से सजी रचना
जवाब देंहटाएंवो जाने क्यों
जवाब देंहटाएंहोने लगी कमजोर
मुहब्बत का उस पर
असर होने लगा,.....
सुन्दर भावाभिव्यक्ति!
intzar ke pyare palo ko accha rekhankit kiya hai .
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना है बधाई
जवाब देंहटाएंAntarim Sanvedanao ko bahut hi sunder dhaung se sajaya hai aapne....Bahut bdadiya!!
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा रचना!!
जवाब देंहटाएंसच में मोहब्बत में ऐसा ही होता है.... पल भर की ख़ुशी में पूरा जहाँ मिल जाता है.....
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी लगी यह कविता ... दिल में उतर गई.....
बहुत सुन्दर रचना.
जवाब देंहटाएंशायद ये प्रेम की इब्त्दा है .......... इस प्रेम में तो जीने की राह है ......... ख्यालों के तस्सवुर में जीना ...... कमाल का लिखा है .........
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना! आपको और आपके परिवार को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी और सुंदर पंक्तियों के साथ बहुत ..... सुंदर पोस्ट....
जवाब देंहटाएंनोट: लखनऊ से बाहर होने की वजह से .... काफी दिनों तक नहीं आ पाया ....माफ़ी चाहता हूँ....