दर्द आज
बयां करना चाहता था
अपनी पीड़ा को
जो उसे असहाय कर चली थी
जब से वह
उसके भीतर पली थी
चिंता के साथ
घुल रही थी उसकी हड्डियां भीं
उसके रोम छिद्र
सिहर उठते उसकी चुभन से
आंसुओ के वेग में
निशब्द मौन खड़ा वह
होठों को भींचकर
देखता उसकी जड़ता को
हठीली मुस्कान पपड़ाये हुये होठों पर
सफेद धारियों में
रक्त की लालिमा लाकर
उसे मन ही मन कुंठित करती
आज पूरे वेग से
वह झटकना चाहता था
गुजरना चाहता था हद के परे
हताशा और निराशा के
पकड़ना चाहता था
आस की एक नन्हीं किरण
जो इस दर्द का अंत कर सकती थी
जिसकी पीर वही जाने और न जाने कोय..
जवाब देंहटाएंबढ़िया है... बेहतरीन है..
सच है दर्द जब हद से गुज़र जाता है तो उसको झटक कर उतार देना ही अच्छा होता है .......... अच्छी रचना है ........
जवाब देंहटाएंदर्द का बेहतरीन चित्रण
जवाब देंहटाएंएक बहुत ही अच्छी रचना
जवाब देंहटाएंदर्द का अच्छा चित्रण
जवाब देंहटाएंdard ko bayan karna dard ke ha rpahlu se gujarna hai.
जवाब देंहटाएंयक़ीनन पुरकशिश
जवाब देंहटाएंआस की किरण को पकड़ना चाहता था....सकारात्मक सोच के साथ दर्द से लबरेज़ रचना.....खूबसूरत
जवाब देंहटाएंदर्द का बयान काबिले तारीफ है!
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना!
दर्द झलक रहा है रचना से..सफल रचना...अपने को अभिव्यक्त करती.
जवाब देंहटाएंदर्द को बहुत खूबसूरती से बयाँ किया है आपने....
जवाब देंहटाएंदिल को छू गई....
(देरी से आने के लिए माफ़ी चाहता हूँ..... )
Regards..
दर्द का बयान काबिले तारीफ है!
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना!
दर्द कभी खत्म नहीं होता सदा जी .....ये सिलसिला तो लगातार चलता रहता है ....हमें ही सीखना पड़ता है इनके साथ जीना ......!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर.
जवाब देंहटाएंआपको और आपके परिवार को मकर संक्रांति की शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूबसूरत रचना लिखा है आपने! दिल को छू गयी हर एक पंक्तियाँ!
पकड़ना चाहता था ...........
जवाब देंहटाएंखुद को बहलाने की एक और कोशिश
बहुत अच्छी नज़्म
दर्द को बेहतरीन ढंग सी ब्यान किया आपने
जवाब देंहटाएंपकड़ना चाहता था
जवाब देंहटाएंआस की एक नन्हीं किरण
जो इस दर्द का अंत कर सकती थी
Behad sundar hai pooree rachana !
मर्म स्पर्शी दिल को छू गयी रचना शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंआपको और आपके परिवार को वसंत पंचमी और सरस्वती पूजन की हार्दिक शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएंदर्द को बहुत खूबसूरती से बयाँ किया है आपने....
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज मंगलवार 10 अगस्त 2021 शाम 5.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंजी धन्यवाद
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