एक श्रमिक अपने लिये ऐसा सोचता है कि सारी उम्र उसे श्रम ही करना है उसके लिये ना तो विश्राम है ना ही पल भर के लिये आराम, यहां तक कि जीवन के अन्तिम दिनों में भी जब वह बोझ उठाने के काबिल नहीं रह जाता तो पेट भरने के लिये वो पत्थर तोड़ने जैसे काम करता है परन्तु आराम वह कभी नहीं कर पाता, वह क्या कुछ ऐसा महसूस नहीं करता . . .
मेहनत और लगन से काम करो तो,
कहते हैं किस्मत भी साथ देती है ।
कितनी की मेहनत, कितना बहा पसीना,
क्यों नहीं किस्मत मजदूर का साथ देती है ।
खेल खेलती किस्मत भी रूपयों का तभी तो
अमीर को धनी गरीब को ऋणी कर देती है ।
छोटी-छोटी चाहत छोटे–छोटे सपने सब हैं,
अधूरे ये बातें तो जीना मुश्किल कर देती हैं ।
श्रमिक के जीवन की किस्मत ही मेहनत है,
श्रम करते हुए ही जीवन का अंत कर देती है ।
यही बात उसके जीवन में बस रंग भर देती है ।
जाहिर है कि किस्मत से कोई लेना देना नहीं है, वज़हें कुछ और ही हैं।
जवाब देंहटाएंसोचते रहिए।
jeevan ki kuch vidamnbanaayein hai....
जवाब देंहटाएंश्रमिक के जीवन की किस्मत ही मेहनत है,
जवाब देंहटाएंश्रम करते हुए ही जीवन का अंत कर देती है
श्रम करते हुवे अंत समय आये ये तो अच्छी बात है............. बिमारी फिर लम्बी बीमारी तो अपने आप में ही अंत है ........ इसलिए श्रम की आदत सबको होनी चाहिए.......... श्रमिक सबको होना चाहिए
वाह!!बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति !
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