सोमवार, 4 जून 2012

ताकि शंखनाद कर सकूँ !!!


















मैने आज कोई फूल
किसी देवता के
श्रीचरणों पर नहीं चढ़ाया
ना ही किया है मंत्रोच्‍चार
ना ही किया किसी देव प्रतिमा के आगे
अगर का धुंआ
बांधे नहीं वंदनवार श्रद्धा के
तेरा तुझको अर्पण की भावना  ने
मन की हर आराधना को जाने क्‍यूँ
विरक्‍त कर दिया है
...
हाँ ये और बात है  कि
तुम्‍हारे चेहरे पर अब भी
मंद मुस्‍कान कायम है
तुम अपना प्रतिबिम्‍ब मेरी
आंखों में बहते अश्‍कों के बीच
अब भी देख पा रहे हो
मेरी जिजीविषा ने
हर कमज़ोर पल में
तुम्‍हारे समक्ष खड़े होकर
विजय यात्रा का आ‍ह्वान किया है
जब भी ..
तुम्‍हारी बंसी की
मधुर ध्‍वनि गूंजी है मेरे कानों में
बस उसी क्षण मैने जाना
केवल तुम ही मेरा संबल हो
लेकिन उससे पहले
तुम चाहते थे यही
मैं अभिषेक कर लूं भावनाओं के
अश्रुजल से तुम्‍हारा
आत्‍मबल का भी ले लूँ सहारा
ताकि शंखनाद कर सकूँ
मन के जीते जीत है मन के हारे हार
विश्‍वास का दीपक प्रज्‍जवलित करने से
पहले तुम्‍हारी मुस्‍कान को
मैं अपना आशीष मान लूँ ... !!!

24 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस उत्कृष्ठ प्रविष्टि की चर्चा कल मंगल वार 5/6/12 को राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी |

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  2. मन के जीते जीत है मन के हारे हार
    विश्‍वास का दीपक प्रज्‍जवलित करने से
    पहले तुम्‍हारी मुस्‍कान को
    मैं अपना आशीष मान लूँ ... !!!बहुत सुन्दर भाव बेहतरीन अभिव्यक्ति बधाई सदा जी...

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  3. सुंदर...
    बहुत सुंदर सदा....
    सस्नेह.

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  4. तुम चाहते थे यही
    मैं अभिषेक कर लूं भावनाओं के
    अश्रुजल से तुम्‍हारा
    आत्‍मबल का भी ले लूँ सहारा
    ताकि शंखनाद कर सकूँ ,,,,,

    बहुत सुंदर अभिव्यक्ति,बेहतरीन रचना,,,,,,

    RECENT POST .... काव्यान्जलि ...: अकेलापन,,,,,

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  5. बहुत ही सुन्दर और गहनता का आभास कराती है ये रचना
    प्रतेक पंक्तिया बहुत ही बेहतरीन है
    अति सुन्दर रचना...

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  6. हर क्षण साथ हैं प्रभु...!
    ये पवित्र शंखनाद मन को पावन करता रहे!

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  7. तेरा तुझको अर्पण की भावना ने
    मन की हर आराधना को जाने क्‍यूँ
    विरक्‍त कर दिया है……………सत्य कहा जब ये भावना समाहित होती है फिर हर इच्छा कामना विचार सब इसी मे समाहित हो जाते हैं और द्र्ष्टा बनकर देखने का आनन्द ही और होता है।

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  8. मन के जीते जीत है मन के हारे हार ...

    सच कहा है ... ये तो जीवन मन्त्र है ... जितनी जल्दी आ जाए समझ उतना ही आसान है ...

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  9. उम्मीद की बेहतरीन अभिवयक्ति.....

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  10. मधुर मुस्कान सबको ही अनुप्राणित करती है।

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  11. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति....बेहतरीन रचना

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  12. ईश्वर में विश्वास की अद्भुत अभिव्यक्ति !!!

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  13. मन के जीते जीत है.. और अगर आत्म-बल और विश्वास हो.. तो फिर ये शंखनाद भी बस यही प्रतिध्वनि देगा कि 'विजयी भव:'
    सादर

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  14. विश्‍वास का दीपक प्रज्‍जवलित करने से
    पहले तुम्‍हारी मुस्‍कान को
    मैं अपना आशीष मान लूँ ... !!!
    बहुत बढ़िया रचना है विश्वास और मुस्कान की ताकत किसी भी और चीज़ से कम नहीं .

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  15. तुम्‍हारी बंसी की
    मधुर ध्‍वनि गूंजी है मेरे कानों में
    बस उसी क्षण मैने जाना
    केवल तुम ही मेरा संबल हो....
    सुंदर....
    सादर।

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  16. ईश्वर भी तो बस मन के भाव देखता है। कृपापात्र बनने के लिये बस भाव पवित्र होने चाहिये,मिथ्याचार नही
    बहुत ही प्यारी रचना

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  17. बहुत सुंदर रचना है... सब विश्वास की ही तो बात है...

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  18. बहुत ही सुन्दर पोस्ट।

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  19. इष्ट की मुस्कान ही आशीष है. बहुत सुंदर.

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मन को छू लें वो शब्‍द अच्‍छे लगते हैं, उन शब्‍दों के भाव जोड़ देते हैं अंजान होने के बाद भी एक दूसरे को सदा के लिए .....