मन आज अकेला नहीं
रहना चाहता
वह खोज रहा है अपनी टोली
कुछ शैतानियां कुछ जिज्ञासाओं को
अपने काँधे पे बिठाकर
आ बैठा आंगन में
यादों की गुल्लक को सीने से लगाये
जिसमें डाले थे कभी कुछ पल
हँसी के कुछ अपनेपन के
कुछ कीमती लम्हे थे
तुम्हारे साथ बिताये हुए
ये जमा पूँजी सम्बंधों की स्नेहवत
मैने तुम्हारे कहने पर ही
सिंचित की थी
...
आओ तुम भी शामिल हो जाओ
मेरी इस टोली में
तुम्हारी शैतानियां मेरी शैतानियों के
कान खींचती हैं तो
दर्द में भी एक मुस्कान होती है
फिर तुम्हे तंग करने का
मौका कैसे जाने दूँ
आज मैं टोली के साथ हूँ
बस एक कमी है
वो तुम्हारे आने से दूर हो जाएगी
...
रहना चाहता
वह खोज रहा है अपनी टोली
कुछ शैतानियां कुछ जिज्ञासाओं को
अपने काँधे पे बिठाकर
आ बैठा आंगन में
यादों की गुल्लक को सीने से लगाये
जिसमें डाले थे कभी कुछ पल
हँसी के कुछ अपनेपन के
कुछ कीमती लम्हे थे
तुम्हारे साथ बिताये हुए
ये जमा पूँजी सम्बंधों की स्नेहवत
मैने तुम्हारे कहने पर ही
सिंचित की थी
...
आओ तुम भी शामिल हो जाओ
मेरी इस टोली में
तुम्हारी शैतानियां मेरी शैतानियों के
कान खींचती हैं तो
दर्द में भी एक मुस्कान होती है
फिर तुम्हे तंग करने का
मौका कैसे जाने दूँ
आज मैं टोली के साथ हूँ
बस एक कमी है
वो तुम्हारे आने से दूर हो जाएगी
...
यह कमी भी क्यों रहे आखिर
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भाव
बहुत सुन्दर भाव.....
जवाब देंहटाएंहमजोली हो तो तो हर कमी दूर हो जाती है।
जवाब देंहटाएंबस एक कमी है
जवाब देंहटाएंवो तुम्हारे आने से दूर हो जाएगी,,,,
भावों की सुंदर प्रस्तुति,,,,,
MY RECENT POST:...काव्यान्जलि ...: यह स्वर्ण पंछी था कभी...
बहुत खूबसूरत और भावप्रवण रचना । सदा जी एक अनुरोध है आप देखिये आपके ब्लोग मे कुछ ऐसा है जब भी खोलती हूँ तो मेरा कम्प्यूटर हैंग सा हो जाता है और काफ़ी देर मे खुलता है आपका ब्लोग जबकि पहले ऐसा नही होता था एक आपके ब्लोग के साथ और एक रश्मि प्रभा जी के ब्लोग के साथ ऐसा हो रहा है बाकि सबके ब्लोग एक क्लिक मे खुल जाते हैं।
जवाब देंहटाएंखूबसूरत भोली भाली सी रचना....
जवाब देंहटाएंसादर बधाई।
प्यारी सी रचना..
जवाब देंहटाएं:-)))
जवाब देंहटाएंआज मैं टोली के साथ हूँ
जवाब देंहटाएंबस एक कमी है
वो तुम्हारे आने से दूर हो जाएगी
भावनाओं का बहुत सुंदर चित्रण . ...बधाई.
भावपूर्ण रचना. सदा जी
जवाब देंहटाएंमैं टोली के साथ हूँ...सुन्दर लिखा है...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर बहुत सी यादों के कीमती लम्हे ....
जवाब देंहटाएंसुन्दर बहुत भाव
जवाब देंहटाएंप्यारी रचना ..
:-)
सुन्दर और स्पष्ट भाव...
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर भाव हैं...
जवाब देंहटाएंप्यारी मनमोहक रचना .... बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट प्रविष्टि...गज़ब
जवाब देंहटाएंइसे भी देखें प्लीज-
छुपा खंजर नही देखा
और
साग़र तलाशते हैं ये
फिर तुम्हे तंग करने का
जवाब देंहटाएंमौका कैसे जाने दूँ
आज मैं टोली के साथ हूँ
बस एक कमी है
वो तुम्हारे आने से दूर हो जाएगी
प्यारी रचना
आओ तुम भी शामिल हो जाओ
जवाब देंहटाएंमेरी इस टोली में
तुम्हारी शैतानियां मेरी शैतानियों के
कान खींचती हैं तो
दर्द में भी एक मुस्कान होती है
फिर तुम्हे तंग करने का
मौका कैसे जाने दूँ
सदा जी मुबारक हो ..अच्छी रचना ..ये कमी क्यों रहे आओ शामिल हो जाओ इस टोली में ...बहुत खूब
बधाइयाँ अर्पिता के लिए .....
प्रिय संजय भाई ..बहुत खूब ..सुन्दर समीक्षा ..आप के माध्यम से सदा जी को 'अर्पिता' के लिए भ्रमर की बधाई और आप को भी ...
भ्रमर ५
भ्रमर का दर्द और दर्पण
ब्लॉग को गुल्लक बना कर सहेज दी आपने अपनी जमा पूँजी।
जवाब देंहटाएंअंतिम पंक्ति कविता को सुंदर बनाती है।
बस यादे !
जवाब देंहटाएंसाथ रहकर क्या कुछ नहीं हो सकता.
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति.
मनोभाव का सुंदर सम्प्रेषण,,,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST,,,,,काव्यान्जलि ...: आश्वासन,,,,,
बच्चों के साथ साथ मन को भी चंचल होने देने का समय है आजकल ... छुट्टियों में जीना का समय है ... सुन्दर भाव ...
जवाब देंहटाएंसुंदर भाव...थोड़ा सा नटखट !!
जवाब देंहटाएंati sundar,,,,wah
जवाब देंहटाएंpasand aaya..sundar rachana.
जवाब देंहटाएंये मासूम टोली बहुत प्यारी है
जवाब देंहटाएंbahut khoobasoorat, badhai
जवाब देंहटाएंबचपन की याद दिलाती खूबसूरत रचना शायद वो बचपन के दोस्त ही होते हैं जिनका इंतज़ार यह कहने को मजबूर कर देता है की बस एक तुम्हारी ही कमी है।
जवाब देंहटाएंकोमल अहसास की सुंदर रचना जो बचपन को जगा जाती है.
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