शब्दों के रिश्ते हैं
शब्दों से
कोई चलता है उँगली पकड़कर
साथ - साथ
कोई मुँह पे उँगली रख देता है
कोई चंचल है इतना
झट से जुबां पर आ जाता है
कोई मन ही मन कुलबुलाता है
किसी शब्द को देखो कैसे खिलखिलाता है
....
दर्द के साये में शब्दों को
आंसू बहाते देखा है
शब्दों की नमी
इनकी कमी
गुमसुम भी शब्दों की दुनिया होती है
कुछ अटके हैं ... कुछ राह भटके हैं
कितने भावो को समेटे ये
मेरे मन के आंगन में
अपना अस्तित्व तलाशते
सिसकते भी हैं
....
जब भी मैं उदासियों से बात करती हूँ,
जाने कितनी खुशियों को
हताश करती हूँ
नन्हीं सी खुशी जब मारती है किलकारी,
मन झूम जाता है उसके इस
चहकते भाव पर
फिर मैं शब्दों की उँगली थाम
चलती हूँ हर हताश पल को
एक नई दिशा देने
कुछ शब्द साहस की पगडंडियों पर
दौड़ते हैं मेरे साथ-साथ
कुछ मुझसे बातें करते हैं
कुछ शिकायत करते हैं उदास मन की
कुछ गिला करते हैं औरों के बुरे बर्ताव का
मैं सबको बस धैर्य की गली में भेज
मन का दरवाजा बंद कर देती हूँ !!!
शब्दों से शब्दों में बयां करती बेहद बेहतरीन उम्दा रचना, गहरी सोंच वाह मज़ा आ गया बधाई स्वीकारें।
जवाब देंहटाएंशत्रु-शस्त्र से सौ गुना, संहारक परिमाण ।
जवाब देंहटाएंशब्द-वाण विष से बुझे, मित्र हरे झट प्राण ।।
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रविकर जी ये पंक्तियाँ साँझा करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद
हटाएंशब्द ही तो बुलाते हैं भावनाओं की मिटटी से सने ...इस रिश्ते में सच्चाई हो तो शब्द शब्द अमरत्व पा लेते हैं ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर भावाभिव्यक्ति .badhai
जवाब देंहटाएंआपने अपने सुंदर शब्दों को एक मीठी सी आवाज़ दे दी ...एक खूबसूरत सा अहसास !
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया!
जवाब देंहटाएंकरवाचौथ की अग्रिम शुभकामनाएँ!
बढिया लिखा ..
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएं ..
बहुत ही सुन्दर ।
जवाब देंहटाएंशब्दों की अनोखी दास्ताँ..आभार!
जवाब देंहटाएंशब्द गहन हो जाते हैं,
जवाब देंहटाएंमन की सब कह जाते हैं।
बहुत ही अच्छी अभिव्यक्ति..
जवाब देंहटाएंबस शब्द ही तो हैं जो हमेशा साथ चलते हैं ...
जवाब देंहटाएंफिर मैं शब्दों की उँगली थाम
जवाब देंहटाएंचलती हूँ हर हताश पल को
एक नई दिशा देने
शब्दों में बहुत शक्ति होती है...
जवाब देंहटाएंयह फूल सा सहला सकती है और तीर सा बेध सकती है
सार्थक रचना|
कुछ शिकायत करते हैं उदास मन की
जवाब देंहटाएंकुछ गिला करते हैं औरों के बुरे बर्ताव का
मैं सबको बस धैर्य की गली में भेज
मन का दरवाजा बंद कर देती हूँ !!!
बेहद भाव पूर्ण प्रेरणादायी अभिव्यक्ति....
सादर !!!
सारा सार शब्दों में ही छुपा है...गहन अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंशब्दों के रिश्ते हैं
जवाब देंहटाएंशब्दों से
कोई चलता है उँगली पकड़कर
साथ - साथ
कोई मुँह पे उँगली रख देता है
कोई चंचल है इतना
झट से जुबां पर आ जाता है
कोई मन ही मन कुलबुलाता है
किसी शब्द को देखो कैसे खिलखिलाता है
....
दर्द के साये में शब्दों को
आंसू बहाते देखा है
शब्दों की नमी
इनकी कमी
गुमसुम भी शब्दों की दुनिया होती है
कुछ अटके हैं ... कुछ राह भटके हैं
कितने भावो को समेटे ये
मेरे मन के आंगन में
अपना अस्तित्व तलाशते
सिसकते भी हैं
....
जब भी मैं उदासियों से बात करती हूँ,
जाने कितनी खुशियों को
हताश करती हूँ
नन्हीं सी खुशी जब मारती है किलकारी,
मन झूम जाता है उसके इस
चहकते भाव पर
फिर मैं शब्दों की उँगली थाम
चलती हूँ हर हताश पल को
एक नई दिशा देने
कुछ शब्द साहस की पगडंडियों पर
दौड़ते हैं मेरे साथ-साथ
कुछ मुझसे बातें करते हैं
कुछ शिकायत करते हैं उदास मन की
कुछ गिला करते हैं औरों के बुरे बर्ताव का
मैं सबको बस धैर्य की गली में भेज
मन का दरवाजा बंद कर देती हूँ !!!
sada, सदा पर 10:36:00 am
सम्प्रेषण में बे -मिसाल रचना ,शब्दों की जादूगरी को छकाती ,भाव को पगाती चाशनी में भावों की .बधाई .
मैं सबको बस धैर्य की गली में भेज
जवाब देंहटाएंमन का दरवाजा बंद कर देती हूँ !!!
yahi sahi hai ....
shabdon ne nishabd kar diya...adbhut, bahut sundar
जवाब देंहटाएंमैं सबको बस धैर्य की गली में भेज
जवाब देंहटाएंमन का दरवाजा बंद कर देती हूँ !!!
किन शब्दों को किस प्रकार की दिशा देनी चाहिए ...
बहुत कुछ सिखने को मिला.
आपके ब्लॉग पर आकर काफी अच्छा लगा।मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत हैं।अगर आपको अच्छा लगे तो मेरे ब्लॉग से भी जुड़ें।धन्यवाद !!
http://rohitasghorela.blogspot.com/2012/10/blog-post.html
शब्दों से रिश्ते होते भी हैं और शब्द रिश्ते भी बना देते हैं .... सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसंगीता दी ने मेरे मुँह की बात छीन ली.. शब्दों का चरित्र-चित्रण इसे कहते हैं!!
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंधीरज बहुत कुछ देता है ...
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें आपको !
शब्दों से ही रिश्ते बनते बिगड़ते हैं विश्लेषक पोस्ट की बधाई .
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति !:)
जवाब देंहटाएंकभी कभी शब्द खामोश भी हो जाते हैं...वो खुद निःशब्द हो जाते हैं...~जैसे हमारे शब्द.. ~तारीफ़ के लिए शब्द ही नहीं मिल पा रहे हैं... :(
~सादर !
गज़ब है गज़ब।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंक्या कहने
सच में ऐसी रचना कभी कभी ही पढने को मिलती है
सुन्दर...!!!
जवाब देंहटाएंशब्द ही हैं जो हमें निशब्द भी कर देते हैं।
जवाब देंहटाएंबहुत उत्कृष्ट...दिल को छूते शब्द...
जवाब देंहटाएंहर खट्टे मीठे लम्हों में ये शब्द ही साकार अभिव्यक्ति कर पाते हैं ..
जवाब देंहटाएंसुन्दर।
सादर
मधुरेश
shabdo ka pyara sa rishta...:)
जवाब देंहटाएंआपके शब्दों में जादू है. बहुत जानदार और शानदार प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंशब्दों से की बातें शब्द भर भर
जवाब देंहटाएंनिःशब्द ही शब्दों ने थामी अंगुलियाँ !
खूबसूरत शब्दों की दास्तान !
सदा दी आपकी इस रचना को कविता मंच पर साँझा किया गया है
जवाब देंहटाएंhttp://kavita-manch.blogspot.in