कभी खोये से ख्याल,
मिल जाते हैं जब
एक जगह तो सवाल करते हैं
अपने आप से ?
ऐसा क्यूँ है कोई आवाज उठाता
हक़ की कोई कहता
मेरी कद्र क्यूँ नहीं की ?
मैं हालातों का जिक्र करती
समझौते की जिन्दगी
कैसे जीनी होती है बतलाती
पर कहाँ सुनते वे मेरी !
....
कभी तेज़ हवाओं के बीच
तुम रहे हो ?
यदि हां तो कितने अस्त-व्यस्त
हो गये होगे
उन पलों के बीच
बस उसी तरह से आज
कुछ तेज ख्यालों के बीच में
मैं हूँ ! हर ख्याल
एक अपनी ही तेजी में है
मेरी कुछ सुनता ही नहीं
मैं सुनते-सुनते सबकी
अपनी कहना भूल ही गई
किस ख्याल का अभिनन्दन करूं
तो किस ख्याल के आगे
हो जाऊँ नतमस्तक
....
एक उलझन सी है जिसमें
कुछ ख्याल उलझ गये हैं
कुछ गुथे से हैं एक दूसरे में
अपनी मैं का मान लिए
सबके सम्मान में
खामोश सी मैं एक
नन्हें ख्याल की उँगली थाम
चली हूँ अभी - अभी
कहीं वो गुम न जाए
ख्यालों की भीड़ में !!!
.....
मैं सुनते-सुनते सबकी
जवाब देंहटाएंअपनी कहना भूल ही गई
किस ख्याल का अभिनन्दन करूं
तो किस ख्याल के आगे
हो जाऊँ नतमस्तक
मैं निशब्द हूँ ,अपने मन के भाव देख कर !!
ख़यालों की भीड़ में एक खयाल की उंगली पकड़ चलना ही सार्थक है ... सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंएक उलझन सी है जिसमें
जवाब देंहटाएंकुछ ख्याल उलझ गये हैं
कुछ गुथ से एक दूसरे में
अपनी मैं का मान लिए
सबके सम्मान में
खामोश सी मैं एक
नन्हें ख्याल की उँगली थाम
चली हूँ अभी - अभी ............bahut sundar panktiyaan
अपनी मैं का मान लिए
जवाब देंहटाएंसबके सम्मान में
खामोश सी मैं एक
नन्हें ख्याल की उँगली थाम
चली हूँ अभी - अभी
कहीं वो गुम न जाए
ख्यालों की भीड़ में !!!..........सुन्दर भावाभिव्यक्ति!
ख्यालों की पीर ख्यालों मे खो गयी
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया आदरेया ||
जवाब देंहटाएंसमझौते की जिंदगी, अस्त व्यस्त शत-ख्याल |
इक अलबेला ख्याल ले, चलती आज सँभाल ||
भगदड़ मची है ख्यालों की....
जवाब देंहटाएंएक दुसरे को रौंदते जा रहे हैं ख़याल...
बहुत सुन्दर..
सस्नेह
अनु
आपकी इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार 20/11/12 को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका स्वागत है
जवाब देंहटाएंसभी बहुत ही सुन्दर लगे।
जवाब देंहटाएंउलझती राहों को सोचती सी ये छोटी सी जिंदगी
जवाब देंहटाएंमूक हो गई में निसंदेह .............
जवाब देंहटाएंनन्हें ख्याल की उँगली थाम
जवाब देंहटाएंचली हूँ अभी - अभी
कहीं वो गुम न जाए
ख्यालों की भीड़ में !!!निशब्द करती रचना,बहुत सुंदर,,,
recent post...: अपने साये में जीने दो.
उम्दा प्रस्तुति शसक्त रचना गहरे भाव पिरोयें हैं सदा दीदी मज़ा आ गया.
जवाब देंहटाएंएक उलझन सी है जिसमें
कुछ ख्याल उलझ गये हैं
कुछ गुथे से हैं एक दूसरे में
अपनी मैं का मान लिए
सबके सम्मान में
खामोश सी मैं एक
नन्हें ख्याल की उँगली थाम
चली हूँ अभी - अभी
कहीं वो गुम न जाए
ख्यालों की भीड़ में !!!
कितने ही ख्याल बिन बुलाये आ जाते हैं...नये ख्याल को ख्यालों की भीड़ में गुम होने से बचाके रखना बहुत ही दुरूह है...
जवाब देंहटाएंमैं सुनते-सुनते सबकी
जवाब देंहटाएंअपनी कहना भूल ही गई
हर लफ्ज़ एहसासों में भींगे हुए. सुन्दर रचना.
ख्यालों की भीड़ में कुछ खोये ख्याल मिल जाते हैं... वाह
जवाब देंहटाएंआपकी इन पक्तियों ने मन के संवेदनशील तारों को झंकृत कर दिया। मेरे नए पोस्ट पर आपका बेसब्री से इंतजार रहेगा । धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना वाह..... मैं सुनते-सुनते सबकी
जवाब देंहटाएंअपनी कहना भूल ही गई
किस ख्याल का अभिनन्दन करूं
तो किस ख्याल के आगे
हो जाऊँ नतमस्तक
बहुत सुन्दर प्रस्तुति वाह!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति वाह!
जवाब देंहटाएंइन ख्यालों की भीड़ में,बेचारा दिल तन्हा
जवाब देंहटाएंरह गया !!!!
शुभकामनायें!
एक उलझन सी है जिसमें
जवाब देंहटाएंकुछ ख्याल उलझ गये हैं
कुछ गुथे से हैं एक दूसरे में (गुंथे से हैं एक दुसरे में )
अपनी मैं का मान लिए
सबके सम्मान में
खामोश सी मैं एक
नन्हें ख्याल की उँगली थाम
चली हूँ अभी - अभी
कहीं वो गुम न जाए
ख्यालों की भीड़ में !!!
बढ़िया एहसासात को संजोये हैं ये चंद पंक्तियाँ .
जो ख्याल इतनी सुंदर कविता का रूप अख्तियार कर लेते हैं वो अक्सर ख्यालों की भीड़ में नहीं खोते...सुन्दर रचना।।।
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंएक उलझन सी है जिसमें
कुछ ख्याल उलझ गये हैं
कुछ गुथे से हैं एक दूसरे में (गुंथे से हैं एक दूसरे में )
अपनी मैं का मान लिए
सबके सम्मान में
खामोश सी मैं एक
नन्हें ख्याल की उँगली थाम
चली हूँ अभी - अभी
कहीं वो गुम न जाए
ख्यालों की भीड़ में !!!
गुंथे शब्द ठीक करें कृपया ,देखिये मैंने ऊपर "दुसरे" का शुद्ध रूप दूसरे लिख दिया है यह गलती मुझसे हुई थी .गूंथना शब्द है .
बढ़िया एहसासात को संजोये हैं ये चंद पंक्तियाँ .
कुछ ख्याल उलझ गये हैं
जवाब देंहटाएंकुछ गुथे से हैं एक दूसरे में
अपनी मैं का मान लिए
सबके सम्मान में
खामोश सी मैं एक
नन्हें ख्याल की उँगली थाम
चली हूँ अभी - अभी
बहुत खूबसूरत