मुश्किलों में संभलना हो तो
हर मुश्किल पर उसका इस्तक़बाल करो
जब भी कभी ऊंचाईयों से डरा है मन,
एक कदम हौसले का धीरे से
सहमे हुये मन के पास आया है
और पूछा है
किस बात का डर
मैं हूँ न तुम्हारे साथ
घबराकर जब भी पलकों को बंद किया,
एक किरण रौशनी की
मेरी पलकों में समाई और
चमकते हुए कह उठी मेरे रहते
अंधकार कैसे संभव भला
मैने झट से अपनी
बंद पलको को खोला और
उस चमकती हुई रौशनी का
स्वागत किया
जहां हर दृश्य मन के संशय का
निराकरण करता नजर आया
......
एक अनंत शक्ति हमारे मन में
विश्वास के बीजों की
पोटली रख छोड़ती है
जिसे हम वक्त-बेवक़्त
बो दते हैं संयम की धरा पर
....
संयम की धरा
हमारे विश्वास के बीज को
अंकुरित कर पोषित करती है
ताकि हमारी आस्था
उस अनंत शक्ति पर सदैव बनी रहे !!!
यथार्थ सत्य सदा दी परन्तु, मुस्किल की घड़ी में अक्सर संयम टूट जाता है।
जवाब देंहटाएंसंयम की धरा
हमारे विश्वास के बीज को
अंकुरित कर पोषित करती है
ताकि हमारी आस्था
उस अनंत शक्ति पर सदैव बनी रहे
संयम की धरा
जवाब देंहटाएंहमारे विश्वास के बीज को
अंकुरित कर पोषित करती है
ताकि हमारी आस्था
उस अनंत शक्ति पर सदैव बनी रहे !!!
सच है...... यह विश्वास यूँ ही पोषित होता रहे
एक अनंत शक्ति हमारे मन में
जवाब देंहटाएंविश्वास के बीजों की
पोटली रख छोड़ती है
जिसे हम वक्त-बेवक़्त
बो दते हैं संयम की धरा पर yah panktiyaan bahut pasand aayi ..bahut sundar
बेहतरीन रचना एवं अभिव्यक्ति के लिए आभार
जवाब देंहटाएंसंयम की धरा
जवाब देंहटाएंहमारे विश्वास के बीज को
अंकुरित कर पोषित करती है
ताकि हमारी आस्था
उस अनंत शक्ति पर सदैव बनी रहे !!!
ये धारा यूँ ही बहती रहे
संयम की धरा
जवाब देंहटाएंहमारे विश्वास के बीज को
अंकुरित कर पोषित करती है
ताकि हमारी आस्था
उस अनंत शक्ति पर सदैव बनी रहे !!!
बहुत सुंदर
क्या बात है..
हौसला बना रहे, जीवन बढ़ता रहे।
जवाब देंहटाएंएक किरण रौशनी की
जवाब देंहटाएंमेरी पलकों में समाई और
चमकते हुए कह उठी मेरे रहते
अंधकार कैसे संभव भला
मैने झट से अपनी
बंद पलको को खोला और
उस चमकती हुई रौशनी का
स्वागत किया
जहां हर दृश्य मन के संशय का
निराकरण करता नजर आया
......
एक अनंत शक्ति हमारे मन में
विश्वास के बीजों की
पोटली रख छोड़ती है
जिसे हम वक्त-बेवक़्त
बो दते हैं संयम की धरा पर
(पलकों को खोला , बो देते हैं )
बहुत खूब रचना लिखी है सकारात्मक ऊर्जा संजोती हर पल .....हमें उन राहों पर चलना है जहां गिरना और संभलना है ,हम हैं वो दीये औरों के लिए जिन्हें तूफानों में पल ना है .
अंकुरित कर पोषित करती है
जवाब देंहटाएंताकि हमारी आस्था
उस अनंत शक्ति पर सदैव बनी रहे !!!
....बहुत अच्छी रचना है...एक संदेश दे रही है !
संयम अखूट निधि है।
जवाब देंहटाएंसंयम की धरा
हमारे विश्वास के बीज को
अंकुरित कर पोषित करती है
ताकि हमारी आस्था
उस अनंत शक्ति पर सदैव बनी रहे !!!
संयम की धरा
जवाब देंहटाएंहमारे विश्वास के बीज को
अंकुरित कर पोषित करती है...
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बहुत ही लाजवाब पंक्तियाँ
बहुत प्रेरक और सुंदर अभिव्यक्ति..
जवाब देंहटाएंसंयम की धरा
जवाब देंहटाएंहमारे विश्वास के बीज को
अंकुरित कर पोषित करती है
ताकि हमारी आस्था
उस अनंत शक्ति पर सदैव बनी
सुंदर अभिव्यक्ति शुभ कामना
जय हो ... :)
जवाब देंहटाएंक्यूँ कि तस्वीरें भी बोलती है - ब्लॉग बुलेटिन आज की ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जीवन इस आस्था की नाजुक डोर पर ही दृढ़ता से टिका है !
जवाब देंहटाएंरौशनी की एक किरण के साथ आस जरुरी है !
बहुत सुन्दर लिखा है , बस चार पंक्तियाँ कहना चाहूँगा-
जवाब देंहटाएं“आकाश” के उस पार ,
चलो घूमकर आते हैं |
गहरा घुप्प अँधेरा है ,
पर एक किरण झिलमिल सी है ,
उसे उठाकर लाते हैं ||
सादर
बहुत ही प्रेरक रचना | बहुत सुंदर |
जवाब देंहटाएंमेरी नई पोस्ट-बोलती आँखें
एक अनंत शक्ति हमारे मन में
जवाब देंहटाएंविश्वास के बीजों की
पोटली रख छोड़ती है
जिसे हम वक्त-बेवक़्त
बो दते हैं संयम की धरा पर
sach .. bahut sach..
prerak!!
आपकी यह बेहतरीन रचना शनिवार 10/11/2012 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंमुश्किलों का इस्तकबाल करो तो वे भी झुक जाती हैं .... रास्ते चलकर पास आते हैं
जवाब देंहटाएंबेहतरीन और शानदार लगी पोस्ट।
जवाब देंहटाएंसंयम की धरा
जवाब देंहटाएंहमारे विश्वास के बीज को
अंकुरित कर पोषित करती है
ताकि हमारी आस्था
उस अनंत शक्ति पर सदैव बनी रहे !!!
हौसला ही कदम दर कदम आगे बढ्ने को प्रेरित करता है ... सुंदर प्रस्तुति
Sundar Rachanaa... :)
जवाब देंहटाएंबहुत ही प्रेरक रचना सदा जी
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर स्वागत है
http://rajkumarchuhan.blogspot.in
संयम की धरा
जवाब देंहटाएंहमारे विश्वास के बीज को
अंकुरित कर पोषित करती है
ताकि हमारी आस्था
उस अनंत शक्ति पर सदैव बनी रहे !!!
....यही आस्था तो जीवन का संबल है...बहुत सुंदर अभिव्यक्ति..
Sanym aur santosh saphaltaa ki kunji hain! Prerak rchna.
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना । आभार ।
जवाब देंहटाएंमेरे नए पोस्ट "श्रद्धांजलि: संजीव कुमार " को भी एक बार अवश्य पढ़े । धन्यवाद
मेरा ब्लॉग पता है :- http://gyaan-sansaar.blogspot.com
पूरी रचना का सार आपकी इन दो लाइंस में मौजूद है .....
जवाब देंहटाएंमुश्किलों में संभलना हो तो
हर मुश्किल पर उसका इस्तक़बाल करो......
दीवाली की शुभकामनायें!
सुंदर रचना ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर, दार्शनिक, प्रेरणादायक अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंसादर
मधुरेश
सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंसंयम और आस्था उस परमात्मा के प्रति.. बहुत ही संतुलित तौर पर आपने हर पहलू को समा दिया है इस कविता में.. बहुत खूब!!
जवाब देंहटाएंसंयत रचना ...बहुत खूब
जवाब देंहटाएंदीवाली की बहुत बहुत शुभकामनाएँ
दीपावली की तहेदिल से मुबारकबाद
जवाब देंहटाएंयूनिक ब्लॉग--------- आपको दीपावली की हार्दिक शुभकामनाऐं
हिम्मतों से उड़ान होती है...सिर्फ पंख होने से कुछ नहीं होता...
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