प्रेम की महिमा में
आख्यानों का आयोजन कर
विषय विशेष पर टीका-टिप्पणी करते गुणीजन
बस इसे ढूँढते ही रहे कस्तूरी की भांति,
ये तो ठहरा रूह से रूह का रिश्ता
जो अंजाने ही बांध लेता जन्मों-जनम के लिए
कुछ समय के लिए जो होता है
वो प्रेम कहां महज़ आकर्षण
प्रेम तो हर हाल में
संकल्प के मंत्रों से गुंजायमान रहता है
मन का हर कोना अभिमंत्रित हो अगर के धुएं सा
मोहक और सुगंधित हो जैसे !
....
हर परिभाषा से मुक्त
नेह के सोपानो पे दौड़ता
कभी छू लेता तारो-सितारों को
कभी दीदारे यार कर बैठता चांद में
प्रेम का होना
फिज़ाओं में खुश्बू सा घुलना चाहत का
मूक रहकर भी कह जाना दिल की हर बात
सिर्फ संभव है प्रेम में !!
...
बहुत सुन्दर बात कही सदा...
जवाब देंहटाएंमूक रहकर भी कह जाना दिल की हर बात
सिर्फ संभव है प्रेम में !!
वाह...
सस्नेह
अनु
हर परिभाषा से मुक्त
जवाब देंहटाएंनेह के सोपानो पे दौड़ता
कभी छू लेता तारो-सितारों को
कभी दीदारे यार कर बैठता चांद में
प्रेम का होना
प्रेम के प्रति सटीक और सुंदर बात ....
किसी दिन, चाहते हैं
जवाब देंहटाएंचुपके से हम उस के जीने पर
कोई जलता दिया,
कुछ फूल
रख आयें
सो इस इमकान पर
इक शाम उस के नाम करते हैं
चलो यह काम करते हैं!
...........................
मूक रहकर भी कह जाना दिल की हर बात
जवाब देंहटाएंसिर्फ संभव है प्रेम में !!
यही तो प्रेम है ………सुन्दर अभिव्यक्ति।
बहने को बहती, मन की बातें,
जवाब देंहटाएंवरना वे सब जानते ही थे।
सुंदर अभिव्यक्ति...मूक रहकर भी कह जाना दिल की हर बात
जवाब देंहटाएंसिर्फ संभव है प्रेम में !!
मूक रहकर भी कह जाना दिल की हर बात
जवाब देंहटाएंसिर्फ संभव है प्रेम में !!.......bahut khubsurat
प्रेम का होना
जवाब देंहटाएंफिज़ाओं में खुश्बू सा घुलना चाहत का
मूक रहकर भी कह जाना दिल की हर बात
सिर्फ संभव है प्रेम में !!
सार्थक और बहुत सुंदर बात ...
बहुत सुंदर रचना .....!!
bahut sundar bhavpoorn prastuti
जवाब देंहटाएं.हम हिंदी चिट्ठाकार हैं
अच्छी रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
प्रेम जिए हर हाल में, मर मर जाय शरीर |
जवाब देंहटाएंफर्क पड़े कंकाल में, हो प्राणान्तक पीर |
हो प्राणान्तक पीर, वासना को धिक्कारो |
मिले जहाँ में सत्य, राधिके तन-मन वारो |
कृष्णा ने दी पीर, वही चरणामृत पावन |
होवे अंधा प्रेम, दिखे सावन ही सावन ||
हर परिभाषा से मुक्त
जवाब देंहटाएंनेह के सोपानो पे दौड़ता
कभी छू लेता तारो-सितारों को
कभी दीदारे यार कर बैठता चांद में
प्रेम का होना
बहुत सुंदर
bahut umda ..
जवाब देंहटाएंप्रेमी का सुन्दर सजह वर्णन लाजवाब प्रस्तुति दी
जवाब देंहटाएंमूक रहकर भी कह जाना दिल की हर बात
जवाब देंहटाएंसिर्फ संभव है प्रेम में,,,
सार्थक और सुंदर रचना ...
मूक रहकर भी कह जाना दिल की हर बात
जवाब देंहटाएंसिर्फ संभव है प्रेम में,,,
बहुत सुन्दर रचना है...
अति सुन्दर....
:-)
प्रेम की सही व्याख्या की है आपने.. यही प्रेम अपने चरम पर पहुंचकर आध्यात्म बन जाता है, भक्ति बन जाता है!! रूह से रूह का रिश्ता, जहाँ शब्द भी बाधाएं पैदा करते हैं!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना...
जवाब देंहटाएंसही परिभाषित कर दिया आपने !
जवाब देंहटाएंप्रेम की सुन्दर परिभाषा
जवाब देंहटाएंफेसबुक थीम को बदले
....
जवाब देंहटाएंहर परिभाषा से मुक्त
नेह के सोपानो पे दौड़ता
कभी छू लेता तारो-सितारों को
कभी दीदारे यार कर बैठता चांद में
प्रेम का होना
फिज़ाओं में खुश्बू सा घुलना चाहत का
मूक रहकर भी कह जाना दिल की हर बात
सिर्फ संभव है प्रेम में !!
किसी भाषा का मोहताज़ नहीं है प्रेम ,प्रेम की अपनी मुद्राएँ हैं जो भाषा के पार निकल जातीं हैं ,"तारों "की
बारात बन बन .
सच कहा है आपने ...मूक रहकर ही होती है दिल से
जवाब देंहटाएंदिल की बात !
कभी छू लेता तारो-सितारों को
जवाब देंहटाएंकभी दीदारे यार कर बैठता चांद में
खूबसूरत भाव.
अद्भुत और सुन्दर रचना के लिए बधाई।
जवाब देंहटाएंमेरी नयी पोस्ट "10 रुपये का नोट नहीं , अब 10 रुपये के सिक्के " को भी एक बार अवश्य पढ़े । धन्यवाद
मेरा ब्लॉग पता है :- harshprachar.blogspot.com
प्रेम का बहुत सुन्दर वर्णन
जवाब देंहटाएंलिखा था कभी मैंने भी ऐसा ही कुछ ...प्रेम न मरता है , ना मारता है , धीमे धीमे सुलगाता है , अगर सा महके या सिगरेट सा जले , यह हम पर निर्भर !
जवाब देंहटाएंखूबसूरत अभिव्यक्ति !
ये अद्भुत कविता और सत्य है सदा जी
जवाब देंहटाएंबस इसे ढूँढते ही रहे कस्तूरी की भांति,
ये तो ठहरा रूह से रूह का रिश्ता
जो अंजाने ही बांध लेता जन्मों-जनम के लिए
मूक रहकर भी कह जाना दिल की हर बात
जवाब देंहटाएंसिर्फ संभव है प्रेम में
.........बहुत सुन्दर रचना है दी