ये बिखराव कैसा है
जिसे समेटने के लिए
मेरी हथेलियां दायरे बनाती हैं
फिर कुछ समेट नहीं पाने का
खालीपन लिये
गुमसुम सी मन ही मन आहत हो जाती हैं
अनमना सा मन
ख्यालों के टुकड़ों को
उठाना रखना करीने से लगाना
सोचना आहत होना
फिर ठहर जाना
....
मन का भारी होना जब भी
महसूस किया
तुम्हारा ही ख्याल सबसे पहले आया
तुम कैसे जीते हो हरपल
बस इतना ही सोचती तो
मन विचलित हो जाता
इक टूटे हुए ख्याल ने आकर
मुझसे ये पूछ लिया
इन टुकड़ों में तुम भी बंट गई हो
मैं मुस्करा दी जब आहत भाव से
वो बनकर आंसू
बिखर गया मेरी हथेलियों में
जिसे समेटने के लिए
मेरी हथेलियां दायरे बनाती हैं
फिर कुछ समेट नहीं पाने का
खालीपन लिये
गुमसुम सी मन ही मन आहत हो जाती हैं
अनमना सा मन
ख्यालों के टुकड़ों को
उठाना रखना करीने से लगाना
सोचना आहत होना
फिर ठहर जाना
....
मन का भारी होना जब भी
महसूस किया
तुम्हारा ही ख्याल सबसे पहले आया
तुम कैसे जीते हो हरपल
बस इतना ही सोचती तो
मन विचलित हो जाता
इक टूटे हुए ख्याल ने आकर
मुझसे ये पूछ लिया
इन टुकड़ों में तुम भी बंट गई हो
मैं मुस्करा दी जब आहत भाव से
वो बनकर आंसू
बिखर गया मेरी हथेलियों में
मन को बचाये रखना है तो आँसू बहा देने होंगे।
जवाब देंहटाएंवाह सदा जी बेहद भावपूर्ण रचना, गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंअरुन = www.arunsblog.in
मुझसे ये पूछ लिया
जवाब देंहटाएंइन टुकड़ों में तुम भी बंट गई हो
सुन्दर रचना की सुन्दर पंक्ति
दीदी सच में कमाल की हो आप
सादर
मन की वेदना आँसुओं मे बह गयी
जवाब देंहटाएंआँसु नही वेदना का सैलाब था जो बहा..चलो मन तो हल्का हुआ...
जवाब देंहटाएंbahut sundar rachna ...man ki baat yun kahna .bahut hi behtreen ..
जवाब देंहटाएंगुमसुम रहता मन तभी,जाता है दिल टूट
जवाब देंहटाएंवेदना आँसू बनते ,साथी जाता छूट,,,,,,,
गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएं,,,,
RECENT P0ST फिर मिलने का
बहुत सही ।
जवाब देंहटाएंbahut hi sundar abhivyakti ...
जवाब देंहटाएंDukh bah gaya aansuon me ..
बहुत सुंदर लिखा, मन के अंतर्भावों को जिस तरह से प्रस्तुत किया भा गया.
जवाब देंहटाएंमन को छू जाती बहुत सुन्दर रचना...
जवाब देंहटाएंआँसू बहने से हमेशा दुख कम तो नहीं होता लेकिन फिर भी इन आँसुओं का बह जाना ही अच्छा है बहुत ही सुंदर दिल को छूती हुई भावपूर्ण अभिव्यक्ति....
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर पंक्तियाँ दर्द में डूबी हुईं..
जवाब देंहटाएंजैसे दिए की लौ को आंधी से बचने के लिए हथेलियों का घेरा बनाया जाता है बस आपने भी बना लिया हथेलियों को समेत लीजिये ख्यालों को अंजुरी में
जवाब देंहटाएंजैसे दिए की लौ को आंधी से बचाने के लिए हथेलियों का घेरा बनाया जाता है बस आपने भी बना लिया हथेलियों को समेट लीजिये ख्यालों को अंजुरी में
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर कविता. एक एक शब्द कुछ अलग भाव जगाता है.
जवाब देंहटाएंएक तसव्वुर को कागज़ पे उतारा है आपने ,
जवाब देंहटाएंसमेटा है एक मानसिक कुन्हासे को ,
भागते खयालात को ,
चोर की लंगोटी ही सही ....
बहुत बढ़िया मानसी सृष्टि की है इस रचना में आपने .
आपकी कवितायें हमेशा ही बेहतरीन होती है...भावपूर्ण सुंदर प्रस्तुति।।।
जवाब देंहटाएंआँसुओं का बह जाना ही अच्छा...अलग तरह की अभिव्यक्ति !!
जवाब देंहटाएंअनमना सा मन
जवाब देंहटाएंख्यालों के टुकड़ों को
उठाना रखना करीने से लगाना
सोचना आहत होना
फिर ठहर जाना
सुंदर प्रस्तुति
मन का भारी होना जब भी महसूस किया..
जवाब देंहटाएंतुम्हारा ही ख्याल सबसे पहले आया!!
Sundar abhivyakti didi..
बढिया
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
बिखराव का सिलसिला शुरू होने पे मुश्किल ही रुकता है ... दिल में दर्द सा उठता है ...
जवाब देंहटाएंगहरे समेटा है इस दर्द को शब्दों में ...
बहुत खुबसूरत प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंबधाइयां -
कुछ पंक्तियाँ
सादर
इन टुकड़ों में तुम भी बंट गई हो
मैं मुस्करा दी जब आहत भाव से
वो बनकर आंसू
बिखर गया मेरी हथेलियों में
............ बेहतरीन अभिव्यक्ति
very touching creation.
जवाब देंहटाएंbhawpurn ....
जवाब देंहटाएंआँखों से गिरते अश्कों को अपनी मुट्ठी में सहेज लीजिए ...
जवाब देंहटाएंबहुत ही तरल भाव ,बहती हुई सी अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंबहुत भावपूर्ण ...हृदयस्पर्शी....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंवो बनकर आंसू
बिखर गया मेरी हथेलियों में..............
और मैंने घबराकर मट्ठियाँ बंद कर लीं.....
आह...लगता है कुछ चुभा...
सस्नेह
अनु
इक टूटे हुए ख्याल ने आकर
जवाब देंहटाएंमुझसे ये पूछ लिया
इन टुकड़ों में तुम भी बंट गई हो
मैं मुस्करा दी जब आहत भाव से
वो बनकर आंसू
बिखर गया मेरी हथेलियों में
रोने-हँसने के दो भावों में घिरे मन का सुंदर वर्णन. बहुत खूब.