कुछ रिश्ते पुस्तक की जिल्द की तरह
सुन्दर और मजबूत होते हैं
जिनके भीतर का
हर पृष्ठ एकाकार और एकसार हो
जुड़ा होता है
........
कुछ रिश्ते कागज के होते हैं
जो वक़्त बेवक़्त जरूरत के समय
सौदागर हो जाते हैं
जिनमें अभाव होता है दर्द का
...
कुछ रिश्ते कागज़ और कलम से
एक दूसरे के बिन
अपनी बात कह ही नहीं पाते
जब तक साथ होते हैं
एक पूरी ताकत
वर्ना आधे-अधूरे
....
कुछ रिश्ते गंगा-जमुना ही नहीं
बल्कि सरस्वती की तरह
अदृश्य भी होते हैं और समर्पित भी!!!
सुन्दर और मजबूत होते हैं
जिनके भीतर का
हर पृष्ठ एकाकार और एकसार हो
जुड़ा होता है
........
कुछ रिश्ते कागज के होते हैं
जो वक़्त बेवक़्त जरूरत के समय
सौदागर हो जाते हैं
जिनमें अभाव होता है दर्द का
...
कुछ रिश्ते कागज़ और कलम से
एक दूसरे के बिन
अपनी बात कह ही नहीं पाते
जब तक साथ होते हैं
एक पूरी ताकत
वर्ना आधे-अधूरे
....
कुछ रिश्ते गंगा-जमुना ही नहीं
बल्कि सरस्वती की तरह
अदृश्य भी होते हैं और समर्पित भी!!!
कुछ रिश्ते गंगा-जमुना ही नहीं
जवाब देंहटाएंबल्कि सरस्वती की तरह
अदृश्य भी होते हैं और समर्पित भी..........bahut khub bahut sundar
सच में कुछ रिश्ते समर्पित होते हैं !
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रचना
जवाब देंहटाएंकैसे कैसे रिश्ते ...
कुछ रिश्ते कागज के होते हैं
जो वक़्त बेवक़्त जरूरत के समय
सौदागर हो जाते हैं
जिनमें अभाव होता है दर्द का
बिल्कुल सच, पूरी तरह
सत्य कहाँ है आपने सदा जी कुछ रिश्ते बिलकुल ऐसी ही होते हैं. सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया है यह श्रृंखला -
जवाब देंहटाएंयह सुदृढ़ सी जिल्द है, शुद्ध-चित्त विश्वास ।
एक पृष्ठ भी फटे तो, भरें सभी उच्छ्वास ।।
लगा रखा है चतुर ने, हर रिश्ते पर टैग ।
कीमत मिलती जो दिखे, बेंचे झटपट बैग ।।
आस पास जब ख़ास हो, कहते-सुनते मूक ।
कलम उठे नहिं विरह में, उठती केवल हूक ।।
कुछ रिश्ते रहते अदृश्य, मुश्किल में दें साथ ।
प्रभु के सच्चे हाथ बन, दिखला जाते पाथ ।।
सुन्दर ...सुन्दर बहुत सुन्दर....
जवाब देंहटाएंहर परिभाषा दिल को छू गयी ....
बहुत प्यारी रचना...
सस्नेह
अनु
कुछ रिश्ते गंगा-जमुना ही नहीं
जवाब देंहटाएंबल्कि सरस्वती की तरह
अदृश्य भी होते हैं और समर्पित भी!!!
बस ऐसे रिश्ते मि्लना ही मुश्किल होता है बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
कुछ रिश्ते गंगा-जमुना ही नहीं
जवाब देंहटाएंबल्कि सरस्वती की तरह
अदृश्य भी होते हैं और समर्पित भी!!!
ऐसे ही रिश्ते की तलाश सदा बनी रहती है ॥!!जिन्हें मिलते हैं वे पुण्यात्मा होते हैं ...!!
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति सदा जी ...
कुछ रिश्ते गंगा-जमुना ही नहीं
जवाब देंहटाएंबल्कि सरस्वती की तरह
अदृश्य भी होते हैं और समर्पित भी!!!वही रिश्ते सही माने में अपने होते हैं जिन्हें केवल महसूस किया जा सकता है ऐसे रिश्तों का कोई नाम भी नहीं होता मगर नाम होते हुए भी बहुत खास होते हैं ऐसे रिश्ते....सुंदर भावपूर्ण रिश्तों की अभिव्यक्ति....
बहत ही सुन्दर रिश्तों पर एक और शानदार पोस्ट \
जवाब देंहटाएंरिश्तों का सुंदर विश्लेषण.
जवाब देंहटाएंकुछ रिश्ते गंगा-जमुना ही नहीं
जवाब देंहटाएंबल्कि सरस्वती की तरह
अदृश्य भी होते हैं और समर्पित भी!!!...मुश्किल से कोई एक रिश्ता, बाकी तो वहम है
badhiya abhivyakti...
जवाब देंहटाएंमजबूत रिश्ते अच्छी जिल्द की तरह न जाने कितने अध्यायों को अपने अन्दर छिपाकर रखते हैं।
जवाब देंहटाएंवाह! बेहतरीन!! सरस्वती की उपमा गज़ब का संदेश देती है!
जवाब देंहटाएंकुछ रिश्ते गंगा-जमुना ही नहीं
जवाब देंहटाएंबल्कि सरस्वती की तरह
अदृश्य भी होते हैं और समर्पित भी!
रिश्तों के अलग अलग रूपों का खुबसूरत वर्णन साथ ही अद्भुत समर्पण
रिश्ते की सुन्दर रचना.. बधाई.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर!
जवाब देंहटाएंकुछ रिश्ते
इस किताब के
जिल्द के
उस किताब से
होते हैं
क्योंकि दोनो
किताबों के जिल्द
एक ही अखबार
से लगाये
गये होते हैं !
bahut badhiya shodon ka samagam...dhnywad kabhi samay mile to mere blog http://pankajkrsah.blogspot.com pe padharen swagat hai
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया, रिश्तों की परिभाषा. सरस्वती से रिश्ते गज़ब..
जवाब देंहटाएंbahut khoobsoorat shabdon me bandha hai rishton ko. sunder bimb prayog.
जवाब देंहटाएंbadhayi.
behad hi khoobsurat.....
जवाब देंहटाएंकुछ रिश्ते गंगा-जमुना ही नहीं
जवाब देंहटाएंबल्कि सरस्वती की तरह
अदृश्य भी होते हैं और समर्पित भी!!!
बड़ी उम्दा बात कही है अपने ।
कुछ रिश्ते गंगा-जमुना ही नहीं
जवाब देंहटाएंबल्कि सरस्वती की तरह
अदृश्य भी होते हैं और समर्पित भी!!!
अति उत्तम..... समर्पित रिश्ते इस भौतिक संसार में सतही रिश्तों से आँख चुराते लगते हैं ....बेहद गहन एवं अति भाव पूर्ण प्रस्तुति ....
कुछ रिश्ते गंगा-जमुना ही नहीं
जवाब देंहटाएंबल्कि सरस्वती की तरह
अदृश्य भी होते हैं और समर्पित भी!!!
....रिश्तों के विभिन्न रूपों का बहुत गहन और सजीव चित्रण...
रिश्तों को रेखांकित करती एक बहुत ही संजीदा रचना.. बल्कि पहले छंद ने तो मुझे मेरे गुरुदेव के. पी.सक्सेना जी की याद दिला दी.. वे कहा करते थे (अपने स्टाइल में) कि ज्यामिति पढने से अच्छा है कि इंसान बुक बाइंडिंग कर ले.. रिश्तों को हर कोण पर काटते और कटते रहने से तो एक जगह चिपक कर रहना बेहतर है!!
जवाब देंहटाएंभावुक कर देने वाली रचना, सदा जी!!
लाजवाब रचना |
जवाब देंहटाएंसही कहा गया है कि "रिश्ते,जिंदगी के लिए होते हैं,जिंदगी रिश्तों के लिए नही"
सादर |
जुड़ते हैं हम समय समय पर कई रिश्तो से ...
जवाब देंहटाएंरिश्ते किसिम- किसिम के !
वाह सुन्दर परिभाषा रिश्तों की ....और कुछ रिश्ते ...बस सही दिल ढूंढते हुए अपने आप पहुँच जाते हैं सदाजी ..है न ....
जवाब देंहटाएंरिश्तों की सुन्दरतम अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना...
:-)
कुछ रिश्ते गंगा-जमुना ही नहीं
जवाब देंहटाएंबल्कि सरस्वती की तरह
अदृश्य भी होते हैं और समर्पित भी!!!
ये रिश्ते गंगा, जमुना, सरस्वती की तरह कर्म और ज्ञान से भरपूर होते हैं.