सोमवार, 10 सितंबर 2012

चलो मैं तुम्‍हारे साथ चलती हूँ !!!

डरती है वह अब खुशियों से
दुख के आगत का
वह स्‍वागत करती है
किसी भी विषम परिस्थिति से
अब उसका जी घबराता नहीं है
एक मन्‍द मुस्‍कान से
अभिनन्‍दन  करना भाता है उसे
हर चुनौती का  !
....
हर पल हर क्षण को जी लेती है
पूरे सुकून के साथ
तब निर्णय करती है
जो हुआ क्‍या सच में गलत था
या फिर इसमें भी
कुछ मेरा ही हित था
...
माँ कहा करती है अक्‍सर
जो होता है अच्‍छे के लिए होता है
बस हम कुछ क्षणों के लिए
घबरा जाते हैं
तुम्‍हें पता है जब तक हम ना चाहें
हमें कोई भी दुखी नहीं कर सकता
ना ही हमें पराजित
हम अपने लिए स्‍वयं  ही
शोक उत्‍पन्‍न करते हैं
विलाप करते हैं
...
यह संबल यह सौम्‍यता शब्‍दों की
जो नव चेतना जागृत करे
है सिर्फ़ उसी के पास जो
हर मुश्किल की पकड़ कर उँगली क‍हे
कहां तुम्‍हारा मार्ग अवरूद्ध है
चलो मैं तुम्‍हारे साथ चलती हूँ !!!

34 टिप्‍पणियां:

  1. ह्रदय को स्पर्श करती हुई बेहतरीन रचना.

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  2. तुम्‍हें पता है जब तक हम ना चाहें
    हमें कोई भी दुखी नहीं कर सकता
    ना ही हमें पराजित
    हम अपने लिए स्‍वयं ही
    शोक उत्‍पन्‍न करते हैं
    विलाप करते हैं

    बिलकुल सही ..... किसी के कुछ कहे से हम स्वयं ही खुद को दुखी करते हैं .... ऐसी उंगली थामने वाला विरलों को ही मिलता है जो साथ चले ।

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  3. हम अपने लिए स्‍वयं ही
    शोक उत्‍पन्‍न करते हैं
    विलाप करते हैं
    बिलकुल सही !

    जवाब देंहटाएं
  4. तुम्‍हें पता है जब तक हम ना चाहें
    हमें कोई भी दुखी नहीं कर सकता
    ना ही हमें पराजित
    हम अपने लिए स्‍वयं ही
    शोक उत्‍पन्‍न करते हैं
    विलाप करते हैं .........yah to sabse bad sach hai kyu ki ummid hi dukh ko janam deti hai ......sundar bhaaw ........

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  5. हर मुश्किल की पकड़ कर उँगली क‍हे
    कहां तुम्‍हारा मार्ग अवरूद्ध है
    चलो मैं तुम्‍हारे साथ चलती हूँ !!!

    very true...bauhat acche!!

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  6. माँ एक चुनौती है
    शिव का त्रिनेत्र
    गीता का ज्ञान
    कृष्ण की ऊँगली
    जिसपे है गोवर्धन अड़ा... जीवन चुनौती है, ना हो चुनौती तो अपनी क्षमताओं से व्यक्ति अनभिज्ञ रहता है

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  7. यह संबल यह सौम्‍यता शब्‍दों की
    जो नव चेतना जागृत करे
    है सिर्फ़ उसी के पास जो
    हर मुश्किल की पकड़ कर उँगली क‍हे
    कहां तुम्‍हारा मार्ग अवरूद्ध है
    चलो मैं तुम्‍हारे साथ चलती हूँ !!!

    वाह ………बिल्कुल सही कहा ये हौसला जी जीवन के मार्ग प्रशस्त करता है

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  8. बहुत सुंदर रचना

    तुम्‍हें पता है जब तक हम ना चाहें
    हमें कोई भी दुखी नहीं कर सकता
    ना ही हमें पराजित
    हम अपने लिए स्‍वयं ही
    शोक उत्‍पन्‍न करते हैं
    विलाप करते हैं

    बिल्कुल सहमत

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  9. नई राह ...एक नई दिशा ..बहुत खूब

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  10. माँ कहा करती है अक्‍सर
    जो होता है अच्‍छे के लिए होता है
    बस हम कुछ क्षणों के लिए
    घबरा जाते हैं
    तुम्‍हें पता है जब तक हम ना चाहें
    हमें कोई भी दुखी नहीं कर सकता
    ना ही हमें पराजित
    हम अपने लिए स्‍वयं ही
    शोक उत्‍पन्‍न करते हैं
    विलाप करते हैं

    बेहतरीन और लाजवाब शब्द......हैट्स ऑफ इसके लिए।

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  11. यह संबल यह सौम्‍यता शब्‍दों की
    जो नव चेतना जागृत करे
    है सिर्फ़ उसी के पास जो
    हर मुश्किल की पकड़ कर उँगली क‍हे
    कहां तुम्‍हारा मार्ग अवरूद्ध है
    चलो मैं तुम्‍हारे साथ चलती हूँ !!!
    अद्भुत भाव जीवन के रंगों से रंगी इन्द्रधनुषी रंग लिए

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  12. मन्त्रों में जो शब्द हैं, उन शब्दों में शक्ति ।

    कठिन परिस्थित से भरे, निबटा जिनसे व्यक्ति ।

    निबटा जिनसे व्यक्ति, चेतना जागृत करते ।

    नई ऊर्जा भक्ति, चुनौती खातिर भरते ।

    पावन माँ की सीख, करे सब ईश्वर अच्छा ।

    अनुभव से इंसान, कर सके रविकर रक्षा ।।


    उत्कृष्ट प्रस्तुति का लिंक लिंक-लिक्खाड़ पर है ।।

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  13. जीवन का सत्य...बहुत सुंदर शब्द..

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  14. बहुत सुन्दर रचना ...................माँ सही कहती है जो होता है अच्छे के लिए ही होता है

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  15. माँ की बात मन में बहुत गहराई से बैठ जाती है |इसी लिए पल पल पर उसकी याद आजाती है |अच्छी और भाव पूर्ण रचना है

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  16. तुम्‍हें पता है जब तक हम ना चाहें
    हमें कोई भी दुखी नहीं कर सकता
    ना ही हमें पराजित
    हम अपने लिए स्‍वयं ही
    शोक उत्‍पन्‍न करते हैं
    विलाप करते हैं

    बहुत ,बहुत बढ़िया सदा जी

    जवाब देंहटाएं
  17. तुम्‍हें पता है जब तक हम ना चाहें
    हमें कोई भी दुखी नहीं कर सकता
    ना ही हमें पराजित
    हम अपने लिए स्‍वयं ही
    शोक उत्‍पन्‍न करते हैं
    विलाप करते हैं
    bahut sarthak ...sargarbhit rachna ...
    utkrisht soch aur abhivyakti bhii ...
    sadar shubhkamnayen Sada ji ...

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  18. यह संबल यह सौम्‍यता शब्‍दों की
    जो नव चेतना जागृत करे
    है सिर्फ़ उसी के पास जो
    हर मुश्किल की पकड़ कर उँगली क‍हे
    कहां तुम्‍हारा मार्ग अवरूद्ध है
    चलो मैं तुम्‍हारे साथ चलती हूँ !!!
    यह है बिना शर्त प्रेम , जो अक्सर माँ ही होती है !

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  19. माँ कहा करती है अक्‍सर
    जो होता है अच्‍छे के लिए होता है
    बस हम कुछ क्षणों के लिए
    घबरा जाते हैं
    तुम्‍हें पता है जब तक हम ना चाहें
    हमें कोई भी दुखी नहीं कर सकता
    ना ही हमें पराजित
    हम अपने लिए स्‍वयं ही
    शोक उत्‍पन्‍न करते हैं
    विलाप करते हैं
    behad samvedan !

    जवाब देंहटाएं
  20. माँ के जैसी सिख देने वाला कोई नहीं इस दुनिया में..जीवन की शुरुआत उसी शिक्षा से होती है..सुन्दर रचना बधाई..

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  21. कहां तुम्‍हारा मार्ग अवरूद्ध है
    चलो मैं तुम्‍हारे साथ चलती हूँ ...

    माँ तो खुद या अपनी सीख के माध्यम से कदम कदम पे साथ चलती है ... उसकी पदचाप जो सुनना चाहे उसे साफ़ सुनाई देती है ...

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  22. आपकी प्रस्तुति अच्छी लगी। मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है।

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  23. आपकी प्रस्तुति अच्छी लगी। मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है।

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  24. भर उड़ान और चल चले गगन के उस पार
    जहाँ बसता है खुशियों का संसार
    मैंने और मेरे दोस्त ने भरी है
    हसने और हँसाने की उड़ान
    जो आना चाहे हंस कर शामिल हो जाये
    उडती गाती ये पंछी कहती है हर बार

    मेरे पोस्ट इसी पर आधारित है, अगर पंजाबी समझ आती है तो जान जायेंगे. अंग्रेजी अनुवाद भी है


    https://udaari.blogspot.in

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मन को छू लें वो शब्‍द अच्‍छे लगते हैं, उन शब्‍दों के भाव जोड़ देते हैं अंजान होने के बाद भी एक दूसरे को सदा के लिए .....