आड़ी तिरछी
टूटी फूटी रेखाओं में
हथेली की जब
भाग्य रेखा
कहीं बीच में ही
कटी होती है
यह घोषित करती है
उसका दुर्भाग्य
तब वह बदलना चाहता है
उन लकीरों का अर्थ
अपने कर्म से
कहीं
जीवन रेखा
नजर आती जब
दो टुकड़ों में विभाजित
तब वह जीना चाहता
हर पल को
आत्मविश्वास से
इसी तरह एक
दिन बदल लेता वह
अपनी पूरी तकदीर
चन्द लकीरों से
वह लड़कर
विजयी होता विश्वास
के साथ
इसी तरह एक
जवाब देंहटाएंदिन बदल लेता वह
अपनी पूरी तकदीर
चन्द लकीरों से
वह लड़कर
विजयी होता विश्वास
के साथ
आत्मविश्वास बढ़ाती शानदार पंक्तियाँ कहीं हैं आपने .....!!
Nice Thoughts,
जवाब देंहटाएंsach me aapki kavita ..aatmvishwaas badhati hai...badhayi.
इसी तरह एक
जवाब देंहटाएंदिन बदल लेता वह
अपनी पूरी तकदीर
चन्द लकीरों से
वह लड़कर
विजयी होता विश्वास
के साथ
बहुत सार्गर्भित और सकारात्मक सोच को प्रेरोत करती रचना के लिये धन्यवाद और बधाई
सच है ..मुश्किल क्षणों में ही आत्मविश्वास अपनी पूर्णता पाता है ..!!
जवाब देंहटाएंसकारात्मक सोच के लिये प्रेरित करती रचना.....सुन्दर भाव!
जवाब देंहटाएंMan ke bhaavon ki sundar abhivyakti.
जवाब देंहटाएं-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
सच कहा ........... अगर हर कोई अपना haq mehnat से lenaa chaahe तो जीवन ही बदल जाए ............. lajawaab लिखा है
जवाब देंहटाएंsunder abhivyati aur sach bhi.
जवाब देंहटाएंबदकिस्मती का आभास और हथेली की टूटी-फूटी लकीरों पर अमूनन ध्यान तभी जाता है जब जिंदगी में हर चीज़ उल्टा अर्थात जैसा चाह, वैसा न होकर उसका उल्टा होता है.
जवाब देंहटाएंऐसे समय में ऐसे ही मज्बूत्र जज्बे काम देते हैं..........
सुन्दर रचना.
बधाई.
चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com