उलझ गया आज,
मैं फिर तेरी यादों में
सोचा था
काट लूंगा बाकी जिन्दगी
तेरे वादों में
तनहां ये सफर
मुश्किल होगा अब
आज जाने कैसे,
कुछ किरचें
फिर मिल गईं
आपस में
हुईं टूटे हुए टुकड़े के करीब
जैसे कह रहीं हों
अब हम न एक होंगे
सुन्दर, रचना को थोडा और बड़ा कर लेते तो और भी सुन्दर लगती !
भावपूर्ण रचना..वाह..नीरज
जीवन्त प्रवाह एवं प्रभाव---ना लाओ ज़माने को तेरे-मेरे बीच
बेहद गहरे भाव लिये हुये कविता............बहुत ही सुन्दर
आज जाने कैसे,कुछ किरचेंफिर मिल गईंआपस में====किरचो का मिलना और फिर एक नई किरच बन जाना एहसास के इस सुन्दर भाव को बखूबी पिरोया है
आज जाने कैसे,कुछ किरचेंफिर मिल गईंआपस मेंBadhiya hai ....
टूटी किरचे मिलकर कभी फिर ना जुड़ सकीं ...अच्छी रचना ..!!
टूटी हुए किरचों ने कहा ....... अब हम न होंगे एक ............ लाजवाब, बहुत ही भावौक रचना है .........
खुबसूरत रचना के लिए मुबारकबाद कुबूल करें...प्रमोद कुश 'तनहा'
बहुत सुंदर भाव और अभिव्यक्ति के साथ लिखी हुई आपकी ये शानदार रचना बहुत अच्छा लगा !
सुन्दर, रचना को थोडा और बड़ा कर लेते तो और भी सुन्दर लगती !
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण रचना..वाह..
जवाब देंहटाएंनीरज
जीवन्त प्रवाह एवं प्रभाव
जवाब देंहटाएं---
ना लाओ ज़माने को तेरे-मेरे बीच
बेहद गहरे भाव लिये हुये कविता............बहुत ही सुन्दर
जवाब देंहटाएंआज जाने कैसे,
जवाब देंहटाएंकुछ किरचें
फिर मिल गईं
आपस में
====
किरचो का मिलना और फिर एक नई किरच बन जाना
एहसास के इस सुन्दर भाव को बखूबी पिरोया है
आज जाने कैसे,
जवाब देंहटाएंकुछ किरचें
फिर मिल गईं
आपस में
Badhiya hai ....
टूटी किरचे मिलकर कभी फिर ना जुड़ सकीं ...अच्छी रचना ..!!
जवाब देंहटाएंटूटी हुए किरचों ने कहा ....... अब हम न होंगे एक ............ लाजवाब, बहुत ही भावौक रचना है .........
जवाब देंहटाएंखुबसूरत रचना के लिए मुबारकबाद कुबूल करें...
जवाब देंहटाएंप्रमोद कुश 'तनहा'
बहुत सुंदर भाव और अभिव्यक्ति के साथ लिखी हुई आपकी ये शानदार रचना बहुत अच्छा लगा !
जवाब देंहटाएं