बच्चे ही तो मन के सच्चे हैं
इनसे तो जो भी मिले
वो इनके लिये अच्छे हैं !
हर बात को शिरोधार्य करते,
सच्ची सीधी सादी बातों से,
सब का मन यह पुलकित करते
बुरा लगता जो किसी बात का
आंख में आंसू ले आते,
रोते-रोते उसको कहते जाते
तुम गंदे हो
मन में नहीं द्वेष ये रखते
बच्चे ही तो मन के सच्चे हैं !
ना लड़की से बुराई
ना लड़के से भलाई
बच्चों संग इठलाते इतराते,
पल में झगड़ा करते
पल में झगड़े फिर मिट जाते
बच्चे ही तो मन के सच्चे हैं !
लुका छिपी खेल,
बहुत है मन को भाता,
मिकी माउस मन को बड़ा लुभाता
बिटिया को गुडि़या है भाती,
बेटे को बैट बॉल है प्यारा,
मुझको तो इनका बपचन है भाता
बच्चे ही तो मन के सच्चे हैं
इसीलिए मेरा विचार है कि
जवाब देंहटाएंसच्चा मन सदा ही बच्चा है
ठीक कह रहा हूं न सदा।
वाकई बच्चे मन के सच्चे है पर तभी तक जब हम बच्चो का बचपन बिखरने न दे.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रचना
सच कहा..........बचपन में लौटने का मन सब का करता है./........... सुनदेर रचना है
जवाब देंहटाएंवाह सदा जी बहुत सुन्दर होता है बचपन और आपके शब्दों ने तो और भी सुन्दर बना दिया बधाइ
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