धरती को मां,
चांद को मामा
इन रिश्तों से
जिन्दा रखी
मुस्कराहट मैने ।
बदलियों में छुप जाता,
चांद जब भी
सितारों से नजदीकियां,
रखी मैने ।
रातें खामोशी की,
चादर ओढ़ लेती जब,
उजालों के लिए,
खिड़कियां खुली
बहुत सुन्दर कविता है---------चाँद, बादल और शाम
रातें खामोशी की,चादर ओढ़ लेती जब,उजालों के लिए,खिड़कियां खुली रखी मैने ।badhiya bhav..badhiya rachana..dher sari badhayi..
सदा जीबहुत खूबसूरत भाव की कविता "उजालों के लिए,खिड़कियां खुली रखी मैने ।"वाह
रातें खामोशी की,चादर ओढ़ लेती जब,उजालों के लिए,खिड़कियां खुलीरखी मैने खूबसूरत शब्द संयोजन और लाजवाब भाव हैं.....
amazig poem hai ji ...kam shabdo me aapne ek sasaar rach diya hai.. badhaiaabhar vijay pls read my new poem "झील" on my poem blog " http://poemsofvijay.blogspot.com
बहुत खूबसूरत रचना
बहुत सुन्दर कविता है
जवाब देंहटाएं---------
चाँद, बादल और शाम
रातें खामोशी की,
जवाब देंहटाएंचादर ओढ़ लेती जब,
उजालों के लिए,
खिड़कियां खुली
रखी मैने ।
badhiya bhav..badhiya rachana..dher sari badhayi..
सदा जी
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत भाव की कविता
"उजालों के लिए,
खिड़कियां खुली
रखी मैने ।"
वाह
रातें खामोशी की,
जवाब देंहटाएंचादर ओढ़ लेती जब,
उजालों के लिए,
खिड़कियां खुली
रखी मैने
खूबसूरत शब्द संयोजन और लाजवाब भाव हैं.....
amazig poem hai ji ...kam shabdo me aapne ek sasaar rach diya hai.. badhai
जवाब देंहटाएंaabhar
vijay
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बहुत खूबसूरत रचना
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