आज शब्दों में कुछ उदासी है,
पंक्ति पूरी होने को प्यासी है ।
टूटे लफ्ज जोड़ने को आतुर,
हर लम्हा बात जरा खासी है ।
यह कितना ज्यादा बासी है ।
हर शब्द इसका ही वासी है ।
लिख दे आज तू इनकी व्यथा,
पढ़े कोई इनकी जो उदासी है ।
आज शब्दों में कुछ उदासी है,
पंक्ति पूरी होने को प्यासी है ।
टूटे लफ्ज जोड़ने को आतुर,
हर लम्हा बात जरा खासी है ।
यह कितना ज्यादा बासी है ।
हर शब्द इसका ही वासी है ।
लिख दे आज तू इनकी व्यथा,
पढ़े कोई इनकी जो उदासी है ।
लिख दे आज तू इनकी व्यथा,
जवाब देंहटाएंपढ़े कोई इनकी जो उदासी है ।
सुन्दर सृजन - अच्छी रचना
आभार
shabd aur unase mil kar bana bhav jo aapki kavita ke madhaym se samane aata hai behtareen hai..
जवाब देंहटाएंsundar kavita..badhayi..
टूटे लफ्ज जोड़ने को आतुर,
जवाब देंहटाएंसुन तो लो बात ये जरा सी है।
बहुत सुन्दर गज़ल।
बधाई!
बहुत बढ़िया , पढ़ ली उदासी है |
जवाब देंहटाएंUDAASI KE SHABDON SE RACHI EK KALJAYEE RACHNA ... MAN ME UTARTE HUVE .....
जवाब देंहटाएंबेहद खुबसूरत रचना ......बधाई
जवाब देंहटाएंआज शब्दों में कुछ उदासी है,shabad bhi udaas hote hai....behad khoobsurat bhav...
जवाब देंहटाएंपंक्ति पूरी होने को प्यासी है ...क्या बात है ..
जवाब देंहटाएंजल्दी पंक्तिया पूरी होने की बहुत शुभकामनायें ..!!
Bahut khoob..
जवाब देंहटाएंआज शब्दों में कुछ उदासी है,
जवाब देंहटाएंशब्द उदास होता है तो रचना बनती है
बहुत खूब
मौन भी बहुत कुछ कह जाता है, रेखा चित्र से भी बहुत कुछ समझ लिया जाता है, पंक्ति अगर पूरी नहीं, तो ही तो जिज्ञासा में कयास ही तो खूबसूरत होते हैं,
जवाब देंहटाएंइस खुबसूरत सी रचना पर मेरी हार्दिक शुभकामनाएं.
चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com
आज से इस ब्लॉग पर आने को ये भूत भी राजी है,किसी को इस बात
जवाब देंहटाएंपर एतराजी है....????