सोमवार, 13 जुलाई 2009

पत्‍ते दगा दे जाते हैं . . .

कहते हैं पेड़ को पत्‍ते दगा दे जाते हैं,

दर्दे जुदाई को ये दिल से लगा लेते हैं ।

जुदाई पत्‍तों की पेड़ से पूछो तो,

डाली-डाली कहानी ये कह देते हैं ।

पतझड़ में टूटे पत्‍ते कहते ना रौदों,

पांव में सदा इनकी पेड़ सुन लेते हैं ।

हवा हमें उड़ा के ले जाएगी एक दिन,

तब तक हम इसके साये में रह लेते हैं ।

छूटा साथ टहनी का, वजूद पेड़ का खोया,

बहार के आने तक टूटा पत्‍ता कह लेते हैं ।

7 टिप्‍पणियां:

  1. छूटा साथ टहनी का, वजूद पेड़ का खोया,
    बहार के आने तक टूटा पत्‍ता कह लेते हैं ।
    DIL KO BAHUT BHAYA .........SHAYAD JINDGI KI TARAH

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  2. कहते हैं पेड़ को पत्‍ते दगा दे जाते हैं,
    दर्दे जुदाई को ये दिल से लगा लेते हैं ...
    बहुत सुंदर लिखा है ,लिखते रहिये ,शुभकामनायें .

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  3. कहते हैं पेड़ को पत्‍ते दगा दे जाते हैं,
    दर्दे जुदाई को ये दिल से लगा लेते हैं

    kon kisko dagaa deta hai..... ye to jispar beetti hai vo hi bataa sakta hai.....
    Aapne judaa hone ke dard ko khoob baandhaa hai shabdon mein

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  4. bahut sundar likha hai aapne
    कहते हैं पेड़ को पत्‍ते दगा दे जाते हैं,
    दर्दे जुदाई को ये दिल से लगा लेते हैं
    badhayi swikaren..
    dhanywaad!!!

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  5. पत्तो की व्यथा और बिखराव का मार्मिक चित्रण
    बहुत सुन्दर

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  6. "कहते हैं पेड़ को पत्‍ते दगा दे जाते हैं"
    आप की रचना बहुत अच्छी लगी....बहुत बहुत बधाई।
    अब पुन: हर सप्ताह रविवार को सभी ब्लागों पर
    [ मेरी ग़ज़ल/प्रसन्नवदनचतुर्वेदी ,
    रोमांटिक रचनाएं और
    मेरे गीत/प्रसन्नवदनचतुर्वेदी पर ]
    नई रचनाएँ पोस्ट कर रहा हूँ ,आशा है आप
    का स्नेह हर रचना को पूर्ववत मिलेगा ...

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मन को छू लें वो शब्‍द अच्‍छे लगते हैं, उन शब्‍दों के भाव जोड़ देते हैं अंजान होने के बाद भी एक दूसरे को सदा के लिए .....