इस इश्क में जुदाई,
क्यों तेरे मेरे बीच हुई ।
मिलाने को मुझे तुमसे कभी,
सारी कायनात थी एक हुई ।
टूट गये दिल दोनो के ऐसे,
ना बिछड़ने की कसम टूट गई ।
शिकवे न शिकायत कोई फिर,
जाने क्यों तू मुझसे रूठ गई ।
मैं मनाता तुझे किस वादे पे,
यकीं करने की आदत छूट गई ।
सुबक सुबक कर रोना ,चाहा था इस दिल ने..कहाँ से लाता आसूं.,,तू जब ,गम का कतरा कतरा लूट गयी...आपकी पंक्तियों को देखकर कलम खुद चल पड़ती है...
bahut achchhi rachana badhai
शिकवे न शिकायत कोई फिर,जाने क्यों तू मुझसे रूठ गई । kabhi kabhi achaanak aisa hota hai ..............
बहुत सुन्दर रचना है बधाई स्वीकारें।
JAB ISHQ MEIN JUDAII HOTI HAI ......... TO ROOTHNA MANAANA TO CHALTAA HAI...
सदा को सुन्दर रचना के लिए बधाई।
मिलाने को मुझे तुमसे कभी,सारी कायनात थी एक हुई ...alchemist ki lines yaad aa gayi...beautifully written
मैं मनाता तुझे किस वादे पे,यकीं करने की आदत छूट गई........बहुत सुंदर लाइनें .
सुबक सुबक कर रोना ,
जवाब देंहटाएंचाहा था इस दिल ने..
कहाँ से लाता आसूं.,,तू जब ,
गम का कतरा कतरा लूट गयी...
आपकी पंक्तियों को देखकर कलम खुद चल पड़ती है...
bahut achchhi rachana
जवाब देंहटाएंbadhai
शिकवे न शिकायत कोई फिर,
जवाब देंहटाएंजाने क्यों तू मुझसे रूठ गई ।
kabhi kabhi achaanak aisa hota hai ..............
बहुत सुन्दर रचना है बधाई स्वीकारें।
जवाब देंहटाएंJAB ISHQ MEIN JUDAII HOTI HAI ......... TO ROOTHNA MANAANA TO CHALTAA HAI...
जवाब देंहटाएंसदा को सुन्दर रचना के लिए बधाई।
जवाब देंहटाएंमिलाने को मुझे तुमसे कभी,
जवाब देंहटाएंसारी कायनात थी एक हुई ...alchemist ki lines yaad aa gayi...beautifully written
मैं मनाता तुझे किस वादे पे,
जवाब देंहटाएंयकीं करने की आदत छूट गई........
बहुत सुंदर लाइनें .