हसरतों के समन्दर में जब - तब,
एक नई हसरत जन्म लेती रही ।
चुपके से उसको बहला दिया मैने जब,
देख बेबसी मेरी वो भी दफन होती रही ।
घुटन, दर्द, आंसू भी उसके न हुये जब,
पल- पल वो पराई खुद से होती रही ।
लुटा दिया उसने यूं तबस्सुम का खजाना,
खोखली हंसी से खुद ही आहत होती रही ।
चुरा लिये जिन्दगी ने हर हंसी पल उसके,
फिर भी ‘ सदा' वो उसकी बन्दगी करती रही ।
शनिवार, 25 अप्रैल 2009
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मेरे बारे में
- सदा
- मन को छू लें वो शब्द अच्छे लगते हैं, उन शब्दों के भाव जोड़ देते हैं अंजान होने के बाद भी एक दूसरे को सदा के लिए .....
bahut hi khoobsoorat ahsaas........sach zindagi kabhi kabhi sab kuch chura leti hai..............adbhut,dil ko choo gayi aapki rachna.
जवाब देंहटाएंघुटन, दर्द, आंसू भी उसके न हुये जब,
जवाब देंहटाएंपल- पल वो पराई खुद से होती रही ।
लुटा दिया उसने यूं तबस्सुम का खजाना,
खोखली हंसी से खुद ही आहत होती रही ।
ehsason ko bahut achhe se piroya hai lafzon mein sunder rachana badhai
चुरा लिये जिन्दगी ने हर हंसी पल उसके,
जवाब देंहटाएंफिर भी ‘ सदा' वो उसकी बन्दगी करती रही ।
अदभुत!सुंदर। मनोभाव।
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार o9-08 -2012 को यहाँ भी है
जवाब देंहटाएं.... आज की नयी पुरानी हलचल में .... लंबे ब्रेक के बाद .
घुटन, दर्द, आंसू भी उसके न हुये जब,
जवाब देंहटाएंपल- पल वो पराई खुद से होती रही ।
हृदयस्पर्शी ..
मन को छू गयी ...
जवाब देंहटाएं