बुधवार, 1 अप्रैल 2009

बेखबर था वो खुदा की खुदाई से . . .

मेरी खामोशी का मतलब ये लगाया उसने,
डर गया हूँ मैं कत्लेआम इसतरह देख के !

बेखबर था वो खुदा की खुदाई से वरना,
मुस्कराता ना वो लोगों को रोते देख के !

गुजर जायेगा बुरा वक्त पोछ्ते हूये अश्क,
हमनशी ने कहा मुझे यूँ गमज़दा देख के !

नापाक उन इरादो को वतन के रखवालो ने,
किया खत्म अपनो को यूँ बंदिश में देख के !

में शुक्रगुजार हूँ जिन्होंने की कुर्बान जिंदगी,
कई बेगानो को "सीमा" मौत के मुँह में देख के !

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मन को छू लें वो शब्‍द अच्‍छे लगते हैं, उन शब्‍दों के भाव जोड़ देते हैं अंजान होने के बाद भी एक दूसरे को सदा के लिए .....