तेरी रूह जाने किस तन में जा समाई होगी,
अब भी शायद मन में कविता ही छाई होगी ।
तेरी कलम से निकला हर शब्द अमिट हो गया,
हर शब्द की चाहत में सिर्फ़ तू ही समाई होगी ।
कितनी नज्में लिखी कवियों ने याद में तेरी,
जाने कितनो ने अपनी महफिलें सजाई होगी ।
कोरे कागज पे रंग भरते तेरे अल्फाज़ जिनमें,
डूब के तूने रंगत ये निखरी हुई सी पाई होगी ।
तेरे ख्वाबों में "सदा" देते रहे दस्तक वारिसशाह,
किसी के ख्वाबों में अमृता तू भी तो आई होगी ।
मंगलवार, 28 अप्रैल 2009
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- मन को छू लें वो शब्द अच्छे लगते हैं, उन शब्दों के भाव जोड़ देते हैं अंजान होने के बाद भी एक दूसरे को सदा के लिए .....
waah bahut hi sunder
जवाब देंहटाएंकोरे कागज पे रंग भरते तेरे अल्फाज़ जिनमें,
डूब के तूने रंगत ये निखरी हुई सी पाई होगी ।
तेरे ख्वाबों में "सदा" देते रहे दस्तक वारिसशाह,
किसी के ख्वाबों में अमृता तू भी तो आई होगी ।
बहुत ही खूबसूरत गजल कही है आपने, बधाई।
जवाब देंहटाएं----------
TSALIIM.
-SBA-
waah .........bahut hi khoobsoorat bhav.
जवाब देंहटाएंतेरे ख्वाबों में "सदा" देते रहे दस्तक वारिसशाह,
जवाब देंहटाएंकिसी के ख्वाबों में अमृता तू भी तो आई होगी ।
बहुत खूब बहुत सुन्दर ..