मेरी मंजिल और मेरे पास हो ।
डगमगाए जो कहीं मुश्किलों से कदम,
बुलंद हैं इरादे मन में ये अहसास हो ।
हर काम पहले आसां नहीं हुआ करता,
जीत होती है उसकी जिसे उसकी आस हो ।
सूरज सा जिसमे तेज, चाँद सी शीतलता हो,
साहस की डोर हाँथ में मन मैं विश्वास हो ।
कहते हैं "सदा" कुछ ख़ास करना है,
फिर क्यों डरूं जब विश्वास मेरे पास हो ।
साकारात्मक सोच लिये एक सुन्दर रचना... लिखते रहिये
जवाब देंहटाएंbehad prabhavshali ...sakaratmak urja pradan karti rachna
जवाब देंहटाएंमेरा अपना जहान
कल 25/11/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
वाह ...बहुत बढ़िया और प्रेरणादायक रचना
जवाब देंहटाएंजीत होती है उसकी जिसे उसकी आस हो ।
जवाब देंहटाएंवाह! क्या ही सार्थक रचना...
सादर बधाई