शनिवार, 4 अप्रैल 2009
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अप्रैल
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- बुलंद हैं इरादे . . .
- बंद करके मैंने जुगनुओं को . . .
- देते रहे दस्तक वारिसशाह . . .
- दुआ बददुआ बन जाती है . . .
- चुरा लिये जिन्दगी ने . . .
- एक वृक्ष नया . . .
- ऊंचे दरख्तों के साये में . . . .
- कोई मरहम नही रखता यहां . . . .
- हौसले हों गर बुलन्द . . .
- बंदिशें लगा के देखा है मैने . . .
- चांदनी से मुलाकात का . . . . .
- चाहत नाम है वफ़ा का
- sada
- वादा क्योंकर किसी का टूट जाता है . . .
- बेखबर था वो खुदा की खुदाई से . . .
- बेखौफ ही निकले दम मेरा
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अप्रैल
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मेरे बारे में
- सदा
- मन को छू लें वो शब्द अच्छे लगते हैं, उन शब्दों के भाव जोड़ देते हैं अंजान होने के बाद भी एक दूसरे को सदा के लिए .....
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