शाम ने ढलते - ढलते दिया,
संदेश चुपके से रात का !
सितारो ने राज बतलाया,
चांदनी से मुलाकात का !
सात घोड़ों पे सवार सूरज्,
आया दिन की शुरुआत का !
लम्हा-लम्हा "सीमा" पल बीता,
समझाया मतलब हर बात का !
सब यूँ ही आते जाते रहते है,
रहा नहीं वक्त यूँ जज़्बात का !
बुधवार, 8 अप्रैल 2009
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मेरे बारे में
- सदा
- मन को छू लें वो शब्द अच्छे लगते हैं, उन शब्दों के भाव जोड़ देते हैं अंजान होने के बाद भी एक दूसरे को सदा के लिए .....
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