नजर से नज़र मिलने का कसूर इतना ही होता है,
दीवारें कितनी भी उठाये कोई एतराज नही होता है !
आ गया जो दिल किसी पे तो क्या करेगे आप्,
इश्क को देखिये हुस्न का मोहताज नही होता है !
जोश, और जुनून का आलम होता है दिल में हरदम,
कदम कितना भी आहिस्ता उठे बेआवाज़ नहीं होता है !
चाहत नाम है वफ़ा का ये जज्बा नेमत है खुदा की,
छुपाये कोई कितना भी, पर ये राज़ नहीं होता है !
राजा रंक ना जाने ये, जात-पात ना माने ये, चाहत मै,
मानो तो कोई किसी का "सीमा" सरताज नहीं होता है !
शनिवार, 4 अप्रैल 2009
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- सदा
- मन को छू लें वो शब्द अच्छे लगते हैं, उन शब्दों के भाव जोड़ देते हैं अंजान होने के बाद भी एक दूसरे को सदा के लिए .....
bahut khoob likha hai aapne andaaj pasand aaya likhtee rahein
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