बुधवार, 3 अक्तूबर 2012

तर्पण श्रद्धा का ...










अर्पित है जल की
प्रत्‍येक बूँद से आपको
इस श्राद्ध में
तर्पण श्रद्धा का
मां - पापा ...
भावना की नन्‍हीं सी
अंजुरि मेरी में
जौ, तिल, फूलों के संग
मिश्रित है गंगा का
पावन जल
आपकी तृप्ति के लिए
...
भीगा सा मन
नमी आंखों में
भावनाओं की करूणा  भरे
शब्‍द जिभ्‍या पर लिए मैं
श्रद्धान्‍वत्  हूँ पूर्ण आस्‍था से
यह मान आप जहां भी होंगे
तृप्‍त हो इस पितृपक्ष में अपना
आशीष हम पर सदा रखेंगे
...

37 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर भावना से लिखी कविता.

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  2. भावना की नन्‍हीं सी
    अंजुरी से .....
    तर्पण श्रद्धा का
    ..........................
    आप जहाँ भी होंगे.......

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  3. बेटी की शादी हुई, बेटा भी परदेश |
    जब तक रहते पास में, माने हर आदेश |
    माने हर आदेश, परोसे भोजन पानी |
    बढती जाए आयु, चिंत-रेखा पेशानी |
    शिथिल बदन हो जाय, खाट पर काया लेटी |
    पानी रही पिलाय, हमारी प्यारी बेटी ||

    जवाब देंहटाएं
  4. भीगा सा मन
    नमी आंखों में
    भावनाओं की करूणा भरे
    शब्‍द जिभ्‍या पर लिए मैं
    श्रद्धान्‍वत् हूँ पूर्ण आस्‍था से
    यह मान आप जहां भी होंगे
    तृप्‍त हो इस पितृपक्ष में अपना
    आशीष हम पर सदा रखेंगे
    आप के साथ मैं भी यही कामना कर रही ............ !!

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  5. इत्ते सुन्दर पोस्ट की बधाई दीदी

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  6. श्रद्धा सुमन बहुत खूबसूरती से भावों में पिरोये हैं ...

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  7. बहुत सुन्दर सदा....
    बहुत ही प्यारी..नेह से श्रद्धा से भीगी पंक्तियाँ....
    बडों का आशीष बना रहे..

    सस्नेह
    अनु

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  8. बहुत सुन्दर भाव संजोये हैं।

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  9. श्रद्धा भाव से ओत-प्रोत सुन्दर पंक्तियाँ....

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  10. श्रद्धा से भीगी पंक्तियाँ

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  11. वाह सदा जी वाकई श्रद्धा में भीगी भीनी-२ खुशबू फैलाती सुन्दर रचना

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  12. इश्वर आपकी यह साध पूरी करे ,सब कुछ तो है पर फिर भी एक कमी रह जाती है और यही एक माध्यम है जो हमें उन्सबसे बांधे रखता है |

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  13. स्नेहिल शब्दों का तर्पण ... इससे विशिष्ट कोई तर्पण नहीं

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  14. लगा हमने भी अपने लोगों को याद कर लिया।
    बहुत सुंदर

    शब्‍द जिभ्‍या पर लिए मैं
    श्रद्धान्‍वत् हूँ पूर्ण आस्‍था से
    यह मान आप जहां भी होंगे
    तृप्‍त हो इस पितृपक्ष में अपना
    आशीष हम पर सदा रखेंगे

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  15. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    श्रद्धा से ही श्राद्ध बना है!

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  16. अर्पित है जल की
    प्रत्‍येक बूँद से आपको
    इस श्राद्ध में
    तर्पण श्रद्धा का
    मां - पापा ...
    भावना की नन्‍हीं सी
    अंजुरि मेरी में
    जौ, तिल, फूलों के संग
    मिश्रित है गंगा का
    पावन जल
    आपकी तृप्ति के लिए

    सदा जी श्रद्धा में भीगी भीनी खुशबू फैलाती सुन्दर रचना

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  17. श्रद्धा भाव से परिपूर्ण सुन्दर रचना...

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  18. रखेंगे नहीं वो हमेशा रखते हैं
    मा बाप बच्चों को कभी भी
    अकेला कहाँ कब रखते हैं
    शरीर माना की छोड़ देते हैं
    आत्मा अपने वो हमेशा ही
    सारे बच्चों के दिल के
    हमेशा ही नजदीक रखते हैं !

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  19. वस्तुतः 'श्राद्ध और तर्पण'=श्रद्धा +तृप्ति। आशय यह है कि जीवित माता-पिता,सास-श्वसुर एवं गुरु की इस प्रकार श्रद्धा-पूर्वक सेवा की जाये जिससे उनका दिल तृप्त हो जाये। लेकिन पोंगा-पंथियों ने उसका अनर्थ कर दिया और आज उस स्टंट को निबाहते हुये लोग वही कर रहे हैं

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    उत्तर
    1. पोंगापंथी सिर्फ आवेश में आते हैं,डराते-धमकाते हैं....सत्य अपनी जगह सामर्थ्यनुसार श्रद्धा के फूल अर्पित करता है.

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  20. सभी पूर्व जनों को तर्पण नमन .बढ़िया मौजू रचना है एक परम्परा से रु -बा -रु करवाती .

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  21. श्रद्धान्‍वत् हूँ पूर्ण आस्‍था से
    यह मान आप जहां भी होंगे
    तृप्‍त हो इस पितृपक्ष में अपना
    आशीष हम पर सदा रखेंगे
    baqhut hi sunder bhav
    rachana

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  22. श्रद्धा भाव से समर्पित अत्यंत भावमयी प्रस्तुति.....

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  23. सुबह जल अर्पित करते समय लगता है, वे पास हैं ...
    आभार इस रचना के लिए !

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मन को छू लें वो शब्‍द अच्‍छे लगते हैं, उन शब्‍दों के भाव जोड़ देते हैं अंजान होने के बाद भी एक दूसरे को सदा के लिए .....