गुरुवार, 25 अक्टूबर 2012

जब भी तुम्‍हें सोचती ...

तुम एक खिलखिलाती हँसी हो
मेरे लिए
जब भी मिली
अपनी मृद वाणी सहज़ मुस्‍कान  से
जीवन का दर्शन कराती
कभी लगता तुम प्‍यार हो सिर्फ प्‍यार
कभी लगता तुम जीवन हो सिर्फ जीवन
तुम नहीं तो कुछ भी नहीं
तुम गीत बनती .. नदिया बनती
शब्‍दों में ढलती तो कविता बनती
फूलों में दिखती तो तितली सी
तुम्‍हारा एक रूप मन में बसा ही न‍हीं पाई
जब भी तुम्‍हें सोचती महसूस करती
तुम हर बार इक नया रूप धरती
तुम से कहती तो तुम कहती
ना मैं तो चिडि़या हूँ
...
मैं हैरान चिडि़या
वो भी गौरेया बेहद प्रिय
वक्‍़त के साथ चलते हुए तुम्‍हें
एहसासों को समेटना भी खूब आता है
पंखों का फैलाना लम्‍बी उड़ान भरना
थकन की शिक़न कहीं नहीं चेहरे पर
आराम का समय निश्चित
वक्‍़त - बेवक्‍़त कभी तुम्‍हारी पलकें
कभी नहीं झपकतीं
वही चिंतन वही मनन
जब जिसने आवाज दी तुम हाजि़र हो जाती
मैं विस्मित सी ! तुम्‍हें देखती
बस देखती रह जाती !!!
...

33 टिप्‍पणियां:

  1. जब जिसने आवाज दी तुम हाजि़र हो जाती
    मैं विस्मित सी ! तुम्‍हें देखती
    बस देखती रह जाती !!!

    नेचुरल शब्द चित्र !

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  2. बेहतरीन भाव लिए एक उम्दा सशक्त रचना सदा जी बधाई स्वीकारें

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  3. सदा जी आपको http://bloggers-word.blogspot.in भी शामिल किया गया है कृप्या पधारें

    जवाब देंहटाएं
  4. बेहतर उम्‍दा प्रसतुति , प्रियतम के प्रति पेम का स्‍मरण कराती रचना
    ट्रेन की वर्तमान स्थिति का पता करे

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  5. वक्‍़त-बेवक्‍़त तुम्‍हारी पलकें
    कभी नहीं झपकतीं
    ये पंक्तियाँ अनायास सुंदर भाव जगाती हैं.

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  6. तुम नहीं तो कुछ भी नहीं
    तुम गीत बनती .. नदिया बनती
    शब्‍दों में ढलती तो कविता बनती
    ..........................
    उम्दा रचना

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  7. मैं स्वयं विस्मित रहती हूँ .... यह कौन है जो कभी धरा, कभी वाष्प सी घुमती है

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  8. वाह...
    बहुत सुन्दर...

    सस्नेह
    अनु

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  9. वक्‍़त - बेवक्‍़त कभी तुम्‍हारी पलकें
    कभी नहीं झपकतीं
    वही चिंतन वही मनन
    जब जिसने आवाज दी तुम हाजि़र हो जाती
    मैं विस्मित सी ! तुम्‍हें देखती
    बस देखती रह जाती,,,,,

    सुंदर शब्दों के साथ बेहतरीन पंक्तियाँ,,,बधाई

    विजयादशमी की हादिक शुभकामनाये,,,
    RECENT POST...: विजयादशमी,,,

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  10. Reedh kee hadee me gazab takleef hai...baith nahee patee hun...lekin jab kabhee baithtee hun aur aapkee post nazar aatee hai,to padhe bina rah nahee pati hun!

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  11. बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति बहुत खूब शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  12. तुम्‍हारा एक रूप मन में बसा ही न‍हीं पाई
    जब भी तुम्‍हें सोचती महसूस करती
    तुम हर बार इक नया रूप धरती
    तुम से कहती तो तुम कहती
    ना मैं तो चिडि़या हूँ
    ..bahut sunder

    rachana

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  13. बिलकुल गौरैया से मासूम एहसास.. संभाल कर रखिये कहीं गौरैया की तरह विलुप्त न हो जाएँ!!

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  14. उत्कृष्ट प्रस्तुति शुक्रवार के चर्चा मंच पर ।।

    जवाब देंहटाएं
  15. मैं हैरान चिडि़या
    वो भी गौरेया बेहद प्रिय
    वक्‍़त के साथ चलते हुए तुम्‍हें
    एहसासों को समेटना भी खूब आता है
    पंखों का फैलाना लम्‍बी उड़ान भरना
    थकन की शिक़न कहीं नहीं चेहरे पर
    आराम का समय निश्चित
    वक्‍़त - बेवक्‍़त कभी तुम्‍हारी पलकें
    कभी नहीं झपकतीं
    वही चिंतन वही मनन
    जब जिसने आवाज दी तुम हाजि़र हो जाती
    मैं विस्मित सी ! तुम्‍हें देखती
    बस देखती रह जाती !!!

    सुन्दर भावाभिव्यक्ति शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  16. अति सुंदर भावाभिव्यक्ती...
    सुंदर...
    :-)

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  17. सुंदर शब्द एक उत्कृष्ट रचना बुनते हुए....

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  18. सौन चिरैया सी तुम हो मेरे प्रेम की परवाज़ .बहुत सशक्त रचना .प्रेमाकर्षण की

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  19. goraiya ko ham fudki bhi kahte hain...
    fudakti hui chidiya...:))
    sundar shabdo se saji ek pyari si rachna...

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  20. सुंदर भाव .... बहुत कम लोग होते हैं जो इतना प्रभावित कराते हैं ।

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  21. मैं भी हैरान बस देखती रह गयी :)

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  22. तुम्हीं मेरी आराध्य, तुम्हीं मेरी आराधना... :)

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  23. और मैं सोचती रही कि वो ऐसी क्यों हैं ????..:)))

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  24. कभी न थकने वाली वह सपनों की गौरैया...सब पर स्नेह बरसाने वाली ममतामयी
    वाह!!शब्दों में बाँध दिया खूबसूरती से!!

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  25. शब्‍दों में ढलती तो कविता बनती
    फूलों में दिखती तो तितली सी.

    बहुत सुंदर भावपूर्ण.

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  26. पोस्ट दिल को छू गयी.......कितने खुबसूरत जज्बात डाल दिए हैं आपने..........बहुत खूब

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मन को छू लें वो शब्‍द अच्‍छे लगते हैं, उन शब्‍दों के भाव जोड़ देते हैं अंजान होने के बाद भी एक दूसरे को सदा के लिए .....