कुछ शब्द भीग गये हैं
ना जाने क्या हुआ
उनका मौन
सुना नहीं था किसी ने
या फिर चीखते हुए
गला रूंध गया था
हिचकियों के स्वर
भी घायल थे
हैरान हूँ !
भीगे शब्द भीगा सा मन लिए
कुछ भी कहने में असमर्थ
उनके अर्थों से बेखबर
तुम हर शब्द को
अपना ही अर्थ देते रहे
कभी सीमाओं में बांधते
कभी लांघ जाते स्वयं ही
उत्तेजित हो हर दीवार
कसमसाते शब्द
बस सवालों के दायरे में
एक मानसिक द्वंद लिए
कभी सहते आघात
कभी बन जाते घात
कभी तपस्वी की तरह
साधक हो जाते
कभी होकर बावरे
निरर्थक से बिखर जाते
यहां-वहां
.........
जब भी कुछ बिखरा है
मैने अपनी दृष्टि को स्थिर कर
हथेलियों को आगे कर दिया
फिर वह तुम्हारी पलको से
गिरा कोई आंसू था
या कोई टूटा हुआ ख्वाब
मैने हर बार सच्चे मन से
बस यही चाहा
तुम्हारी चाहत साकार हो
तुम कोई ख्वाब देखो तो वह
अधूरा न रहे
कुछ शब्द भीग गये हैं
ना जाने क्या हुआ
उनका मौन
सुना नहीं था किसी ने
....
कुछ शब्द भीग गये हैं
जवाब देंहटाएंना जाने क्या हुआ
उनका मौन
सुना नहीं था किसी ने
gahan ...bahut sundar rachna ...
waah n jaane kya hua uska moun suna kisi ne nahi ...shundar abhiwykti
जवाब देंहटाएंख़्वाबों के बनने की आहट भी शब्द में होती है और उनके टूटने की भी. गहन अर्थ देती कविता.
जवाब देंहटाएंबहुत ही गहन अभियक्ति सदा सारी पंक्तियाँ कुछ न कुछ सिखा रही हैं.
जवाब देंहटाएंकोई भी सुनता नहीं, इन शब्दों का मौन |
जवाब देंहटाएंकान रहे बजते सदा, बोलो दोषी कौन ??
जब भी कुछ बिखरा है
जवाब देंहटाएंमैने अपनी दृष्टि को स्थिर कर
हथेलियों को आगे कर दिया
फिर वह तुम्हारी पलको से
गिरा कोई आंसू था
या कोई टूटा हुआ ख्वाब
मैने हर बार सच्चे मन से
बस यही चाहा ....आत्मीयता की गहन अभिव्यक्ति
शब्दों का मौन बड़ा शोर करता है.........
जवाब देंहटाएंतुम कोई ख्वाब देखो तो वह
जवाब देंहटाएंअधूरा न रहे
कुछ शब्द भीग गये हैं
ना जाने क्या हुआ
उनका मौन
सुना नहीं था किसी ने...
khooburat shabd....
अप्रतिम!
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना
जवाब देंहटाएंआपकी इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल २/१०/१२ मंगलवार को चर्चा मंच पर चर्चाकारा राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आप का स्वागत है
जवाब देंहटाएंकभी-२ मौन शब्दों पर भारी पड़ जाता है...
जवाब देंहटाएंपर कोई समझे ही ना, तब क्या ?
कुछ शब्द भीग गये हैं
जवाब देंहटाएंना जाने क्या हुआ
उनका मौन
सुना नहीं था किसी ने
...बहुत ख़ूबसूरत अहसास...
मौन क्या वाकई मौन होता है...शब्द मिल जाए तो अभिव्यक्ति हो जाती है...पर मौन के शब्द तो भीगे होते हैं इसलिए धुँधले रह जाते हैं|
जवाब देंहटाएंत्यक्त शब्द भीग ही जाते हैं, अपने अँसुअन से।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना सुन्दर भाव
जवाब देंहटाएंभाव, भाषा एवं अभिव्यक्ति सराहनीय है। मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है।
जवाब देंहटाएंभीगे शब्दों का मौन...अन्दर तक उथल-पुथल मचा गया...
जवाब देंहटाएंजब भी कुछ बिखरा है
जवाब देंहटाएंमैने अपनी दृष्टि को स्थिर कर
हथेलियों को आगे कर दिया
फिर वह तुम्हारी पलको से
गिरा कोई आंसू था
या कोई टूटा हुआ ख्वाब
गजब की चाहत
उत्कृष्ट रचना
जवाब देंहटाएंमौन रहना बोलने पर भारी पड़ता है ,,,,
जवाब देंहटाएंRECECNT POST: हम देख न सके,,,
शब्दों का मौन अर्थ को और गहन करल गया!
जवाब देंहटाएंबस सवालों के दायरे में
जवाब देंहटाएंएक मानसिक द्वंद (द्वंद्व )लिए ....द्वंद्व
कभी सहते आघात
कभी बन जाते घात
कभी तपस्वी की तरह
साधक हो जाते
निरर्थक से बिखर जाते
यहां-वहां
.........
जब भी कुछ बिखरा है
मैने अपनी दृष्टि को स्थिर कर
हथेलियों को आगे कर दिया
फिर वह तुम्हारी पलको(पलकों ).. से ......पलकों .....
गिरा कोई आंसू था
या कोई टूटा हुआ ख्वाब
बाहर तो शब्द ही होतें हैं और अर्थ होतें हैं हमारे अन्दर .....भीगे शब्दों का मौन मुखर होता है ,चीखता है चिंघाड़ता है ,मौन कलेजा फाड़ ता है भले शब्द भीग जाएं ....
बहुत सशक्त रचना है .
सुंदर !
जवाब देंहटाएंशब्द भीगते हैं जब भी
भारी भारी हो जाते हैं
तैरना चाहते हुऎ भी
मगर शब्दों में डूब जाते हैं !
दिल के दर्द को जाने कौन
जवाब देंहटाएंजिसने सहा ...बाकि मौन !!
शुभकामनायें!
कुछ शब्द भीग गये हैं
जवाब देंहटाएंना जाने क्या हुआ
उनका मौन
सुना नहीं था किसी ने
शब्दों के मौन की भाषा समझना इतना आसान कहाँ
बहुत अच्छी रचना
जवाब देंहटाएंवाकई कम ही ऐसी रचनाए पढने को मिलती हैं।
जब भी समय मिले, मेरे नए ब्लाग पर जरूर आएं..
http://tvstationlive.blogspot.in/2012/09/blog-post.html?spref=fb
कुछ भीगे शब्द मन के भाव को बहुत कुछ व्यक्त कर जाते हैं। और हथेलियों में समेट लेना उन शब्दों को उस बंधन को और भी गहरापन दे जाता है।
जवाब देंहटाएंभीगे शब्दों का मौन .... हर पंक्ति की गहराई में उतार गयी हूँ .... बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत ही उम्दा रचना....वाह
जवाब देंहटाएंभीगे शब्दों का मौन सुन पाना इतना सरल भी तो नहीं !
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया!
तुम हर शब्द को
जवाब देंहटाएंअपना ही अर्थ देते रहे
कभी सीमाओं में बांधते
कभी लांघ जाते स्वयं ही
उत्तेजित हो हर दीवार ...
जब भी कुछ बिखरा है
मैने अपनी दृष्टि को स्थिर कर
हथेलियों को आगे कर दिया
फिर वह तुम्हारी पलको से
गिरा कोई आंसू था
या कोई टूटा हुआ ख्वाब
बहुत खूब, शब्दों से उलझती जिंदगी ।
जाने क्या अर्थ निकालेगी इन शब्दों का दुनिया सारी ...
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