कुछ विचार हैं मेरे मन के
तुम्हारे मन से उलझे हुए कुछ बिखरे हैं
एक-एक कर समेटती जाती हूँ उन्हें
कई सवाल आंखों में आकर अटक से गए हैं
पूछने के लिए
सिर्फ पलकों का उठना तुम्हें देखना खामोशी से
तुम्हारा मौन कितनी लड़ाईयां लड़कर
पस्त हो चुका था
बिना कुछ कहे ही बुझा सा मन लिए
मेरी सवालिया नज़रों का नज़रों से जवाब देता
बस कुछ लम्हे खामोशी के मुझसे मांग रहा था
....
सच कहूँ मैने हक़ से कभी
खुद से खुद की खुशी नहीं मांगी
तुम्हारे सवालों का जवाब क्या मांगती
हर बार की तरह
इस बार भी सब कुछ छोड़ दिया तुम्हारी चाहत पर
तुम्हारे यक़ीन पर अपने यक़ीन की मुहर लगा
सोचती हूँ एक से भले दो
बीती ताहि बिसारि दे आगे की सुधि ले
संभव तो नहीं होता पर
एक रास्ता एक किरण जो अंधेरे को चीरती है
उसे भी बड़ी शिद्दत से इंतजार होता है
भोर का
...
जिन्दगी हर कद़म पर ज़ीना सिखाती है,
दुख हो, दर्द हो, धूप हो या फिर
हो नितान्त अकेलापन
वो धड़कनों में जीवन का संगीत लिए
अपनी लय में कद़म से कद़म मिला
जब थिरक़ती है तो सब कुछ
दृष्टिगोचर हो मनभावन हो जाता है
क्योंकि तब हम फ़र्क समझ चुके होते हैं
अच्छे और बुरे का
...
वाह....
जवाब देंहटाएंसच कहूँ मैने हक़ से कभी
खुद से खुद की खुशी नहीं मांगी
तुम्हारे सवालों का जवाब क्या मांगती ..
बहुत खूबसूरत ...
सस्नेह
अनु
जिन्दगी हर कद़म पर ज़ीना सिखाती है,
जवाब देंहटाएंदुख हो, दर्द हो, धूप हो या फिर
हो नितान्त अकेलापन
वो धड़कनों में जीवन का संगीत लिए
अपनी लय में कद़म से कद़म मिला
जब थिरक़ती है तो सब कुछ
दृष्टिगोचर हो मनभावन हो जाता है
क्योंकि तब हम फ़र्क समझ चुके होते हैं
अच्छे और बुरे का
बस यही तो है ज़िन्दगी का फ़लसफ़ा
गहन अभिव्यक्ति सदा जी ....!!
जवाब देंहटाएंजिन्दगी हर पल सिखाती है, बस आँख खोल के चलना है।
जवाब देंहटाएंज़िन्दगी यूँ हीं उलझती,टूटती पैबन्दों के संग चलती है
जवाब देंहटाएंसच कहूँ मैने हक़ से कभी
जवाब देंहटाएंखुद से खुद की खुशी नहीं मांगी
तुम्हारे सवालों का जवाब क्या मांगती
क्या कहूँ इस लाजबाब अभिव्यक्ति पर :)
बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंसुंदर भाव
जिन्दगी हर कद़म पर ज़ीना सिखाती है,
जवाब देंहटाएंदुख हो, दर्द हो, धूप हो या फिर
हो नितान्त अकेलापन
वो धड़कनों में जीवन का संगीत लिए .......
dil ki baat.... dil se...
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (13-10-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
जिन्दगी हर कद़म पर ज़ीना सिखाती है,
जवाब देंहटाएंदुख हो, दर्द हो, धूप हो या फिर
हो नितान्त अकेलापन ...
बेहद भाव पूर्ण प्रस्तुति......
bahut hi sunder abhivyakti
जवाब देंहटाएंbadhai
rachana
जिन्दगी हर कद़म पर ज़ीना सिखाती है,बहुत सुन्दर भाव..
जवाब देंहटाएंजिन्दगी हर कद़म पर ज़ीना सिखाती है,
जवाब देंहटाएंदुख हो, दर्द हो, धूप हो या फिर
हो नितान्त अकेलापन
वो धड़कनों में जीवन का संगीत लिए
अपनी लय में कद़म से कद़म मिला
जब थिरक़ती है तो सब कुछ
दृष्टिगोचर हो मनभावन हो जाता है
क्योंकि तब हम फ़र्क समझ चुके होते हैं
अच्छे और बुरे का
SO NICE
बिल्कुल सही ...ज़िन्दगी हरदम कुछ सिखाती है.....
जवाब देंहटाएंसदा ही जिन्दगी के प्रति सुलझा सा प्यारा सा नजरिया सुहानी सी पोस्ट .बधाई
जवाब देंहटाएंजिन्दगी हर कद़म पर ज़ीना सिखाती है,
जवाब देंहटाएंदुख हो, दर्द हो, धूप हो या फिर
हो नितान्त अकेलापन
bilkul sahi baat.
अपनी तोतली जबान से उआ (बुआ) कहना शुरू करने वाला मेरा भतीजा *अलंकार* 'अंकू' और अपने मित्रों के बीच में 'Alan' के नाम से लोकप्रिय आज 15 अक्टूबर को 20 वर्ष पूरे करने जा रहा है, उंगली पकड़कर चलते-चलते दौड़ना सीखा और तोतली ज़बान कब मधुरता के गीत गाने लगी उसका प्रिय शौक गाना है पढ़ाई में अव्वल बी.ई. (सिविल) 5वें सेमेस्टर में अध्ययनरत *अलंकार *फोटो्ग्राफी भी पूरी तन्मयता से करता है ... आज के दिन बस यही दुआ है उसकी हर ख्वाहिश पूरी हो ...
जवाब देंहटाएंजिन्दगी हर कद़म पर ....
कुछ विचार हैं मेरे मन के तुम्हारे मन से उलझे हुए कुछ बिखरे हैं एक-एक कर समेटती जाती हूँ उन्हें कई सवाल आंखों में आकर अटक से गए हैं पूछने के लिए सिर्फ पलकों का उठना तुम्हें देखना खामोशी से तुम्हारा मौन कितनी लड़ाईयां।।।।।।।।।(लडाइयां .......) लड़कर पस्त हो चुका था बिना कुछ कहे ही बुझा सा मन लिए मेरी सवालिया नज़रों का नज़रों से जवाब देता बस कुछ लम्हे खामोशी के मुझसे मांग रहा था ....
स्वगत कथन सी रचना आताम्लोचन भी करती है बोध भी देती चलती है बीती ताहि बिसार दे ,आगे की सुधि लेई ......
हर पल ज़िंदगी कुछ न कुछ सीखती है ..... सुंदर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंजब हमें अच्छे-बुरे का फर्क मालूम हो जाता है तब चुनाव का विकल्प नहीं रहता !
जवाब देंहटाएंएक भाव पूर्ण रचना !
बहुत बढ़िया प्रस्तुति सुन्दर भाव
जवाब देंहटाएंजीवन की लय में चलते का सुख सब से बड़ा होता है. सुंदर कविता.
जवाब देंहटाएं@ जिन्दगी हर कद़म पर ज़ीना सिखाती है
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचनाओं में से एक, कई बार पढ़ी ...आभार आपका !
ज़िंदगी से बेहतर कोई उस्ताद नहीं.. सब सिखा देती है ज़िंदगी, ठोकर देती है और संभलना भी!!
जवाब देंहटाएंवाह बहुत खूब .......भावपूर्ण
जवाब देंहटाएंkashmokash ko sunder shabd diye hain.
जवाब देंहटाएंखामोशी की गूँज चमत्कारिक होती है. सुंदर कविता.
जवाब देंहटाएंbahut hi sundar rachna rashmi di ki baat se poorntah sahamat hoon.
जवाब देंहटाएंहर बार की तरह
जवाब देंहटाएंइस बार भी सब कुछ छोड़ दिया तुम्हारी चाहत पर
तुम्हारे यक़ीन पर अपने यक़ीन की मुहर लगा
सोचती हूँ एक से भले दो
bahut hi sundar...
जिन्दगी हर कद़म पर ज़ीना सिखाती है,
जवाब देंहटाएंदुख हो, दर्द हो, धूप हो या फिर
हो नितान्त अकेलापन
वाह,.... बहुत ही सुन्दर
ख़ामोशी को पिरोती, गहनतम अभिव्यक्ति सदा जी ...
जवाब देंहटाएंबेह्तरीन अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंसच कहूँ मैने हक़ से कभी
जवाब देंहटाएंखुद से खुद की खुशी नहीं मांगी
तुम्हारे सवालों का जवाब क्या मांगती
हर बार की तरह
इस बार भी सब कुछ छोड़ दिया तुम्हारी चाहत पर
तुम्हारे यक़ीन पर अपने यक़ीन की मुहर लगा
सुंदर अभिव्यक्ति ।
जिन्दगी हर कद़म पर ज़ीना सिखाती है,
जवाब देंहटाएंदुख हो, दर्द हो, धूप हो या फिर
हो नितान्त अकेलापन
वो धड़कनों में जीवन का संगीत लिए
अपनी लय में कद़म से कद़म मिला
जब थिरक़ती है तो सब कुछ
दृष्टिगोचर हो मनभावन हो जाता है
क्योंकि तब हम फ़र्क समझ चुके होते हैं
अच्छे और बुरे का
...सच जिंदगी जिंदगी हर मोड़ पर कुछ न सिखाती चली जाती है ..
बहुत सुन्दर सार्थक प्रस्तुति