मंगलवार, 3 जनवरी 2012

नज़रों का सम्मान ... !!!














वो पगली है
बिल्‍कुल चंचल हवा सी
वह मुझे देवदार कहती तो
मेरे अधरों पे
एक मुस्‍कान ठहर जाती
मैने उसकी बातों को कभी
दिल से नहीं लिया
सौदागर कोई भी हो
क्‍या फर्क पड़ता है
सौदा तो मुहब्‍बत का ही होना था  ...

उसने कभी कीमत अदा की
एक मुस्‍कराहट से
कभी खरीदना चाहा एहसासों को
आंसुओ से
प्‍यार तो अनमोल ही रहा
जब-जब मैने दूर जाने की बात  की
उसकी पलकें मिचीं छलके आंसू
लब थरथराए लगा था
ये वक्‍त यहीं ठहर जाए ..पर
न वक्‍त ठहरा न हम
कोई हमारी वज़ह से  आहत न हो
हमने उस चाहत को
खुद से जुदा कर दिया ...
बुलन्‍दी का जुनून उसे ले गया
ऊंचाइयों पे
मैं भी हूं शिखर पर
अब मुहब्‍बत नहीं सिर्फ एहसास है
क्‍या खोया क्‍या पाया
जिन्‍दगी ने जिन्‍दगी से ...
वक्‍त आज़ भी हमारे बीच कभी
कुछ लम्‍हे चुराकर लाता है
हम उन लम्‍हों को
दूसरों की जिन्‍दगी संवारने में लगा देते हैं
और फिर उन नज़रों में होता है
हमारे लिए बस एक सम्‍मान ... !!!

28 टिप्‍पणियां:

  1. ये वक्‍त यहीं ठहर जाए ..पर
    न वक्‍त ठहरा न हम
    कोई हमारी वज़ह से आहत न हो
    हमने उस चाहत को
    खुद से जुदा कर दिया ...
    इन पंक्तियों ने सबसे ज़्यादा प्रभावित किया...
    पूरी रचना बेहतरीन है...बधाई

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  2. क्‍या फर्क पड़ता है
    सौदा तो मुहब्‍बत का ही होना था ...
    हर बार मै जिया तुझे जिंदगी ...तू हर बार फिसल गयी ....सुन्दर भावों को व्यक्त करती एक अनुभवी कलम !!!

    जवाब देंहटाएं
  3. वक्‍त आज़ भी हमारे बीच कभी
    कुछ लम्‍हे चुराकर लाता है
    हम उन लम्‍हों को
    दूसरों की जिन्‍दगी संवारने में लगा देते हैं
    और फिर उन नज़रों में होता है
    हमारे लिए बस एक सम्‍मान ... !!!
    Bahut khoob!

    जवाब देंहटाएं
  4. pyar ko sahi maynon men vyakt karti aapki yah post behad lubhavni hae.

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  5. नज़रों में सम्मान बना रहे .. सुन्दर अभिव्यक्ति

    जवाब देंहटाएं
  6. वाह ……………बहुत ही सुन्दर भावाव्यक्ति………यही तो सार्थक जीवन है।

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  7. बहुत ही सुन्दर .............हैट्स ऑफ इसके लिए|

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  8. सदा जी,..बहुत खूब,
    बस हमारे लिए यही एक सम्मान,...

    "काव्यान्जलि":

    नही सुरक्षित है अस्मत, घरके अंदर हो या बाहर
    अब फ़रियाद करे किससे,अपनों को भक्षक पाकर,

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  9. बुलन्‍दी का जुनून उसे ले गया
    ऊंचाइयों पे
    मैं भी हूं शिखर पर
    अब मुहब्‍बत नहीं सिर्फ एहसास है
    ......
    वाह !

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  10. जब-जब मैने दूर जाने की बात की
    उसकी पलकी मिचीं छलके आंसू
    लब थरथराए लगा था
    ये वक्‍त यहीं ठहर जाए ..पर
    न वक्‍त ठहरा न हम
    ....
    कोई नहीं ठहरता किसी के लिए भी न वक्त न हम .... कभी भी नहीं !

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  11. बहुत ही सुन्दर भावाव्यक्ति|धन्यवाद्|

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  12. बेहतरीन भावाव्यक्ति..बधाई..

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  13. वाह सदा जी..
    बहुत ही सुन्दर रचना...
    शुक्रिया.

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  14. बेहतरीन अभिव्‍यक्ति।
    सुंदर प्रस्‍तुतिकरण।

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  15. binaa nazrein milaaye
    ham bhee aapko aur aapkee kavitaa ko
    samman de rahe hein
    ek sundar rachnaa bataa rahe hein

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  16. बेहतरीन रचना !
    नववर्ष मंगलमय हो !

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  17. सुन्दर प्रस्तुति, अच्छी रचना,
    नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें !

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  18. सौदागर कोई भी हो
    क्‍या फर्क पड़ता है
    सौदा तो मुहब्‍बत का ही होना था ...

    badhai Sada ji bahut hi achhi abhivykti ......dil se abhar.

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  19. बहुत खूब ... जज्बातों से खलने की कला है आपके पास ...

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मन को छू लें वो शब्‍द अच्‍छे लगते हैं, उन शब्‍दों के भाव जोड़ देते हैं अंजान होने के बाद भी एक दूसरे को सदा के लिए .....