मैं जब भी कहूं
तेरी याद सताती है
उसके लबों पे
आ के इक तबस्सुम ठहर जाती है ...
उसने कहा एक दिन
इन यादों के फेर में मत पड़ना
ये छलती हैं
कसमें टूटती हैं
वादे अक्सर झूठे होते हैं
बस कामयाब होती हैं तो कोशिशें
मैं उसकी अनुभवी आंखों में
सूनापन देखकर
हैरान सी हो गई थी
भला यादें कैसे छल करती होंगी
तब उसने कहा मैं भी यूं हीं
इन यादों के साये में
जब तक रही
सबने मुझे बावरी कहा
लेकिन मैं उस सांझ से क्या कहती
जो ढलते ही
मुझे अपनी पनाह में ले लेती थी ...
उन पलों से क्या कहती
जो तेरे साथ गुजारे थे
वही सब तो थे जो मुझे घेर लेते थे
मैं तनहाई और यादें
बस मैं हो गई बावरी लोगों की नज़र में
फिर ... ? मेरी उत्सुक निगाहें
पागल ....
मेरे सर पर एक हल्की सी चपत लगाई उसने
ऐसा कर ...
इन यादों को तू मेरी झोली में डाल दे
मैं समय-समय पर
इनकी झाड़-पोंछ करती रहूंगी
ताकि गर्द न जमें
और तुझे कोई सताये भी न ...
मैं खुश ...
ऐसा भी होता है ... !
बिल्कुल दिल चाहे तो क्या नहीं होता ... !!
बस आप यकीं करना
मैने दिल की बात मन ली
सारी यादें खामोशी की झोली में डाल दी ...
अब मैं भी खुश और वो भी खुश ... !!!
तेरी याद सताती है
उसके लबों पे
आ के इक तबस्सुम ठहर जाती है ...
उसने कहा एक दिन
इन यादों के फेर में मत पड़ना
ये छलती हैं
कसमें टूटती हैं
वादे अक्सर झूठे होते हैं
बस कामयाब होती हैं तो कोशिशें
मैं उसकी अनुभवी आंखों में
सूनापन देखकर
हैरान सी हो गई थी
भला यादें कैसे छल करती होंगी
तब उसने कहा मैं भी यूं हीं
इन यादों के साये में
जब तक रही
सबने मुझे बावरी कहा
लेकिन मैं उस सांझ से क्या कहती
जो ढलते ही
मुझे अपनी पनाह में ले लेती थी ...
उन पलों से क्या कहती
जो तेरे साथ गुजारे थे
वही सब तो थे जो मुझे घेर लेते थे
मैं तनहाई और यादें
बस मैं हो गई बावरी लोगों की नज़र में
फिर ... ? मेरी उत्सुक निगाहें
पागल ....
मेरे सर पर एक हल्की सी चपत लगाई उसने
ऐसा कर ...
इन यादों को तू मेरी झोली में डाल दे
मैं समय-समय पर
इनकी झाड़-पोंछ करती रहूंगी
ताकि गर्द न जमें
और तुझे कोई सताये भी न ...
मैं खुश ...
ऐसा भी होता है ... !
बिल्कुल दिल चाहे तो क्या नहीं होता ... !!
बस आप यकीं करना
मैने दिल की बात मन ली
सारी यादें खामोशी की झोली में डाल दी ...
अब मैं भी खुश और वो भी खुश ... !!!
खामोशी के झोली में सारी यादों को डालकर खुश रहना ..वाह .. कितना सुन्दर लिखा है सदा जी , बेहद खुबसूरत..
जवाब देंहटाएंवाह सदा जी................
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बढ़िया...
तह लगा कर रखी होती हैं यादे...अलमारी के कागज़ ने नीचे...
खामोशी सब समेट लेती है,सब बयाँ कर देती है...
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति सदा जी।
बहुत ही बेहतरीन और अर्थपूर्ण अभीव्यक्ति... सुंदर...
जवाब देंहटाएंसारी यादें खामोशी की झोली में डाल दी ...
जवाब देंहटाएंअब मैं भी खुश और वो भी खुश ... !!!
अद्भुत अभिव्यक्ति!! एक सार्थक सन्देश!!
BAHUT ACCHA ..........
हटाएंमैं खुश ...
जवाब देंहटाएंऐसा भी होता है ... !
बिल्कुल दिल चाहे तो क्या नहीं होता ... !!
behatarin
यादों का भंवर.......सुन्दर प्रस्तुति|
जवाब देंहटाएंख़ामोशी की झोली में यादों को डालने की तरकीब अच्छी लगी ...खूबसूरत रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंआभार!
यादों को कौन खामोश कर पाया है..
जवाब देंहटाएंsundar
जवाब देंहटाएंयह ख़ामोशी की झोली भी सबके पास नहीं होती ..तभी न यादें बहुत सताती हैं :):)
जवाब देंहटाएंअच्छी प्रस्तुति
बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएं(पिछले दिनों आपकी एक पुस्तक को देखा, बहुत अच्छा लगा।)
बहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंदिल को छू गयी आपकी रचना.
khoobsurat ehsaas...
जवाब देंहटाएंइन यादों के फेर में मत पड़ना
जवाब देंहटाएंये छलती हैं
कसमें टूटती हैं
वादे अक्सर झूठे होते हैं
बस कामयाब होती हैं तो कोशिशें
bahut badi baat kah gayi hain aap in panktiyon men. achchhi lagi ye nazm.
जो दिल की बात सुनता है उसका दिमाग भी दुरुस्त रहता है।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति,बेहतरीन रचना
जवाब देंहटाएं--काव्यान्जलि--यह कदंम का पेड़--
गहरे भाव।
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना।
बहुत ही सुन्दर और सार्थक कविता शब्दों में अपनापन सा लगता है
जवाब देंहटाएंमकर संक्रांति की शुभकामनायें.....बेहतरीन रचना,बधाई स्वीकारें..|
जवाब देंहटाएंसबने मुझे बावरी कहा
जवाब देंहटाएंलेकिन मैं उस सांझ से क्या कहती
जो ढलते ही
मुझे अपनी पनाह में ले लेती थी ...
उन पलों से क्या कहती
जो तेरे साथ गुजारे थे
वही सब तो थे जो मुझे घेर लेते थे
मैं तनहाई और यादें
बस मैं हो गई बावरी लोगों की नज़र में
बखूबी अपने भावों को शब्दों में पिरोया है!
जवाब देंहटाएंआभार
प्यार में फर्क पर अपने विचार ज़रूर दें...
गहरे भाव। सुंदर रचना।....मकर संक्रांति की शुभकामनायें.
जवाब देंहटाएंगहरे भाव की बहुत अच्छी रचना,सुंदर प्रस्तुति,मकर संक्रांति बधाई,
जवाब देंहटाएंनई रचना-काव्यान्जलि--हमदर्द-
यादों की ख़ामोशी भी बहुत कुछ कहती है.
जवाब देंहटाएंमन के भाव को शब्दों में उकेर दिया है ... बेहतरीन ...
जवाब देंहटाएंमकर संक्रांति की बहुत बहुत बधाई हो ...
ख़ामोशी भी बहुत कुछ कहती है.
जवाब देंहटाएंbahut khub
जवाब देंहटाएंm speechless
सुंदर रचना अच्छी लगी.....
जवाब देंहटाएंnew post--काव्यान्जलि --हमदर्द-