इंसाफ़ होने में देर हो तो
अंदेशा होता है अंधेर का
ज़रूर कहीं न कहीं
कुछ तो गलत है ...
''जागते रहो'' की
आवाज़ लगाता सुरक्षा प्रहरी
अनभिज्ञ रहता है
इस बात से कि
दबे पॉंव आकर पीछे से कोई
उसे हमेशा-हमेशा के लिए
चिरनिद्रा में सुला देगा
फिर भी वह
अपने कर्तव्य से
विमुख नहीं होता ...
लेकिन भ्रष्टाचार की खाद पड़ी हो जहां
वहां बिन पानी भी
अपराध की असली जड़
हमेशा हरी रहती है
क्यूँकि उसका प्रतिफल
भुगतने के लिए
टहनियॉं सदैव लचीली रहती हैं
और पत्तियॉं इतनी नाजुक व नरम होती हैं
कि कभी भी
आवश्यकता पड़ने पर
बिना किसी आवाज के
कटाई-छंटाई हो जाती है
और किसी को
कानो-कान खब़र नहीं होती ....
उम्दा प्रस्तुति…………बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंअच्छी प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंसार्थक विषय..
माँ सरस्वती की कृपा बनी रहे आप पर...
शुभकामनाएँ.
बहुत ही बढ़िया ।
जवाब देंहटाएंबसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।
सादर
आशीष बरस रहा है आज माँ सरस्वती का ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर लिखा है ...
शुभकामनायें ....
'जागते रहो'' की
जवाब देंहटाएंआवाज़ लगाता सुरक्षा प्रहरी
अनभिज्ञ रहता है
इस बात से कि
दबे पॉंव आकर पीछे से कोई
उसे हमेशा-हमेशा के लिए
चिरनिद्रा में सुला देगा .....
इन पंक्तियों के साथ कविता बहुत अच्छी लगी....
कुछ न कुछ तो खटकता है।
जवाब देंहटाएंबहुत खुबसूरत....जय माँ सरस्वती.....
जवाब देंहटाएंऔर पत्तियॉं इतनी नाजुक व नरम होती हैं
जवाब देंहटाएंकि कभी भी
आवश्यकता पड़ने पर
बिना किसी आवाज के
कटाई-छंटाई हो जाती है
और किसी को
कानो-कान खब़र नहीं होती ....
Bahut samvedansheel rachana....bilkul sahee kah rahee hain aap!
खटकते रहना ही जागते रहने का परिचायक है।
जवाब देंहटाएंदेर होती है तो अंधेर का ही डर रहता है ..बहुत सच्ची रचना ..
जवाब देंहटाएंवाह.......जबरदस्त |
जवाब देंहटाएंsahi likha hae aapne sda, kuchh nahin kafi kuchh galat hae.
जवाब देंहटाएंजागते रहो कहनेवाला खुद ही संशय के घेरे में होता है !
जवाब देंहटाएंटहनियॉं सदैव लचीली रहती हैं
जवाब देंहटाएंऔर पत्तियॉं इतनी नाजुक व नरम होती हैं
कि कभी भी
आवश्यकता पड़ने पर
बिना किसी आवाज के
कटाई-छंटाई हो जाती है
और किसी को
कानो-कान खब़र नहीं होती ....bahut sunder line...
सच कहा है कभी कभी खुद को ही पता नहीं चलता ... लाजवाब अभिव्यक्ति है ...
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएंआज सरस्वती पूजा निराला जयन्ती
और नज़ीर अकबारबादी का भी जन्मदिवस है।
बसन्त पञ्चमी की हार्दिक शुभकामनाएँ!
अद्भुत अभिव्यक्ति ..
जवाब देंहटाएंवैसे तो न्याय में देरी अपने आप में अन्याय है लेकिन जिस टूटी व्यवस्था की आपने बात की है वह सब के लिए चिंता का कारण है. जागते रहना ही होगा. चेताने वाली सुंदर कविता.
जवाब देंहटाएंकिसी नवजीवन का आना ही ...सृजन हैं
जवाब देंहटाएंबहुत सही बात! सुन्दर रचना!
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति बहुत अच्छी रचना,..
जवाब देंहटाएं--26 जनवरी आया है....
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआज चर्चा मंच पर देखी |
बहुत बहुत बधाई ||
इंसाफ़ होने में देर हो तो
जवाब देंहटाएंअंदेशा होता है अंधेर का
ज़रूर कहीं न कहीं
कुछ तो गलत है
एकदम वास्तविक और सटीक रचना है.
ब्लॉग बुलेटिन पर की है मैंने अपनी पहली ब्लॉग चर्चा, इसमें आपकी पोस्ट भी सम्मिलित की गई है. आपसे मेरे इस पहले प्रयास की समीक्षा का अनुरोध है.
जवाब देंहटाएंस्वास्थ्य पर आधारित मेरा पहला ब्लॉग बुलेटिन - शाहनवाज़
सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
बहुत सही बात कहती सुंदर रचना ....
जवाब देंहटाएंप्रशंसनीय बहुत अच्छी लगी आपकी यह भावपूर्ण प्रस्तुति....!
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