गुरुवार, 26 नवंबर 2009

मेरे घाव आज भी ....

See full size imageकहते हैं वक्‍त हर घाव भर देता है

पर मेरे घाव आज भी

उतनी ही टीस देते हैं

संवेदनाओं के मरहम

से मुझे और पीड़ा होती है

सफेदी इसकी

उतनी शीतल नहीं रही

ज्‍वंलत हो गई है

आंखे नहीं देखना चाहती

वह दृश्‍य

जब इन सफेदपोशो ने

चढ़ाये थे इनपर हार फूलों के

इन्‍हें शहीद कहकर

जाने कितने घोषणाओं से

बटोरी थी वाहवाही

कहने की बजाय ये

कुछ करके दिखाते

जिससे कम होता

आतंक का साया

जिसके भय से हम

आज भी मुक्‍त नहीं हुये हैं ।

15 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत उम्दा शर्दान्जली ! कभी- कभी लगता है कि इनकी कुर्बानिया सब बेकार कर दी इस देश ने !

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  2. बहुत उम्दा शर्दान्जली .... shaheedon ko naman va shrddha suman.....

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  3. सहज अभिव्यक्ति है यह
    शहीदों को नमन एवं श्रद्धांजलि ( कॉपी पेस्ट यहाँ से करें यह सही स्पेलिंग है ) शर्दांजली तो शरद की अंजलि है ???

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  4. SAHAJ HI NIKLE HUVE SHABD SACHEE SHRADHAANJALI HAIN ... IN NETAAON NE BAS BAATE HI KARNI HAIN ...

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  5. आंखे नहीं देखना चाहती
    वह दृश्‍य
    जब इन सफेदपोशो ने
    चढ़ाये थे इनपर हार फूलों के
    इन्‍हें शहीद कहकर
    जाने कितने घोषणाओं से
    बटोरी थी वाहवाही...

    सच्ची श्रृद्धांजलि......!!

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  6. ये वो घाव हैं
    जो हमेशा टीस देते रहेंगे
    काश कि इनकी पुनरावृत्ति न हो।

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  7. भावनाओं से भरी एक सुंदर प्रस्तुति..धन्यवाद

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  8. बहुत ही सुंदर और भावपूर्ण कविता लिखा है आपने! शहीदों को मेरा शत शत नमन और श्रधांजलि!

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  9. कुछ नहीं बदलेगा ...लोग इसी तरह शहीद होते रहेंगे ...और उनकी शहादत को लोग इसी तरह भुनाते रहेंगे .....प्रभावपूर्ण रचना

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मन को छू लें वो शब्‍द अच्‍छे लगते हैं, उन शब्‍दों के भाव जोड़ देते हैं अंजान होने के बाद भी एक दूसरे को सदा के लिए .....