शुक्रवार, 20 नवंबर 2009

हंसी में द्वेश ...

मैं आज बांटना चाहता हूं

लोगो के गम

देना चाहता हूं

उनके होठों पे मुस्‍कान

पर उन्‍हें मेरी

इस बात पे यकीं नहीं होता

जरूर किसी ने उन्‍हें

धोखा दिया होगा,

तभी तो उन्‍हें आदत हो गई है

फरेब, मक्‍कारी की,

धोखे और बेईमानी की

वह सच में झूठ

हंसी में द्वेश

प्‍यार में नफरत को देखा करते हैं ।

19 टिप्‍पणियां:

  1. तभी तो उन्‍हें आदत हो गई है

    फरेब, मक्‍कारी की,

    धोखे और बेईमानी की

    वह सच में झूठ

    हंसी में द्वेश

    प्‍यार में नफरत को देखा करते हैं ।

    बहुत सुन्दर !
    सच को सच मानने के लिए भी यकीन जोड़ना पड़ता है आज !

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  2. जरूर किसी ने उन्‍हें

    धोखा दिया होगा,

    तभी तो उन्‍हें आदत हो गई है

    फरेब, मक्‍कारी की,

    धोखे और बेईमानी की


    bahut hi sunder kavita......

    bilkul sach kaha aapne.....

    m speechless....

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  3. तभी तो उन्‍हें आदत हो गई है

    फरेब, मक्‍कारी की,

    धोखे और बेईमानी की

    वह सच में झूठ

    हंसी में द्वेश

    प्‍यार में नफरत को देखा करते हैंवाह बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है। बधाई

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  4. Sach byaan kar rahe hain aap.
    जरूर किसी ने उन्‍हें

    धोखा दिया होगा,

    तभी तो उन्‍हें आदत हो गई है

    फरेब, मक्‍कारी की,

    धोखे और बेईमानी की

    वह सच में झूठ

    हंसी में द्वेश

    प्‍यार में नफरत को देखा करते हैं ।

    Panktiyaan sidhe sidhe saral shabdon me kahi hai aapne puri Saadgi se...

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  5. मजबूरी है उनकी,वो भी क्या करें....अपने अनुभवों में हंसी में द्वेष और प्यार में नफरत ही देखा है....कुछ सोचने को मजबूर करती हुई कविता...

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  6. मैं आज बांटना चाहता हूं
    लोगो के गम
    देना चाहता हूं
    उनके होठों पे मुस्‍कान...
    आपने सच्चाई को बयान करते हुए बहुत सुंदर रूप से प्रस्तुत किया है! हर एक पंक्तियाँ लाजवाब है ! बहुत अच्छी लगी आपकी ये शानदार रचना !

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  7. सुन्दर परिकल्पना के साथ लिखी गई रचना के लिए बधाई!

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  8. वह सच में झूठ
    हंसी में द्वेश
    प्‍यार में नफरत को देखा करते हैं ....

    दोस्तों के हाथ में खंजर इतने देखे हैं की दुश्मनों से मुहब्बत हो गयी कटु सत्य है ...!!

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  9. ... बेहद प्रसंशनीय अभिव्यक्ति !!!!

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  10. वाह क्या सोच है... बिलकुल कमाल..

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  12. हाँ!
    लोगों के गम बांटने वालों को अब और मेहनत करनी होगी
    -अच्छे भाव जगाती सार्थक कविता।

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  13. बेहतरीन । धोखा खाते खाते सच भी संदेह के घेरे में आ जाता है ।

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मन को छू लें वो शब्‍द अच्‍छे लगते हैं, उन शब्‍दों के भाव जोड़ देते हैं अंजान होने के बाद भी एक दूसरे को सदा के लिए .....